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हिंदू संगठनों ने आज से एक नई शुरुआत की, कांवड़ मार्ग पर हिंदू दुकानदारों की दुकानों पर नेमप्लेट लगाई जा रही

अलीगढ़
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हिंदू संगठन नेमप्लेट अभियान चला रहा है। इसके तहत कांवड़ मार्ग पर हिंदू दुकानदारों की दुकानों पर नेमप्लेट लगाई जा रही है। कांवड़ विवाद का मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा हो, इसके बावजूद अलीगढ़ में हिंदू संगठनों ने आज से एक नई शुरुआत की है। हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों ने रामघाट रोड कांवड़ मार्ग पर हिंदू फल विक्रेता और होटलों संचालकों की नेमप्लेट लगाई। नेमप्लेट पर जय श्री राम का स्लोगन लिखा हुआ है, साथ में भगवान भोलेनाथ की तस्वीर भी लगी हुई है।

अलीगढ़ जिले के क्वार्सी थाना इलाके में यह अभियान चलाया गया। हिंदूवादी संगठन से जुड़े दीपक शर्मा ने बताया कि जो लोग पहचान छुपा कर अपनी दुकान लगाए बैठे हैं, इसी को लेकर हमारे हिंदू समाज के सनातनी लोग अपनी सुरक्षा, पवित्रता और आस्था के मद्देनजर दुकानों पर अपना नाम लिख रहे हैं। इसके तहत वो अपनी पहचान बताने का काम कर रहे हैं। कांवड़ियों की पवित्रता को देखते हुए यह काम किया जा रहा है। यह अभियान अलीगढ़ से हरिद्वार तक चलेगा।

दीपक शर्मा ने आगे कहा कि हिंदू दुकानदारों का धर्म भ्रष्ट न हो इसलिए वो अपना नाम खुलकर लिख रहे हैं। इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कोई विरोध नहीं होना चाहिए। एक अधिकारी का नाम हो सकता है, एक डॉक्टर का नाम हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट के बाहर भी सुप्रीम कोर्ट का नाम लिखा रहता है, जज साहब का भी नाम लिखा होता है, फिर सरकार के इस फैसले पर क्यों आपत्ति हो रही है। अपनी पहचान बताने में क्या दिक्कत है?

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी निर्देशों पर अपने अंतरिम रोक को बढ़ा दिया है। जिसमें कांवड़ यात्रा के दौरान भोजनालयों को मालिकों और कर्मचारियों को नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया गया था।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के संबंध में अपने निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा कि यह निर्देश कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा करने और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया था। निर्देश जारी करने के पीछे का मकसद कांवड़ियों की यात्रा के दौरान उनके भोजन को लेकर सूचित विकल्प पेश करना था, ताकि उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।

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