पंजाब में पिछले दशक में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई, 31,879 महिलाओं की हुई मौत

चंडीगढ़
 पंजाब में पिछले 10 सालों में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। 2014 से 2023 के बीच 31,879 महिलाओं की इससे मौत हो गई। यह आंकड़ा पिछले 10 सालों में इन दो कैंसर से होने वाली मौतों में 26% की बढ़ोतरी दर्शाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (NCRP) के अनुसार, पंजाब में पिछले एक दशक में ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौतों के अनुमानित 22,208 मामले सामने आए हैं। 2014 में जहां ब्रेस्ट कैंसर से 1,972 मौतें हुई थीं, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 2,480 हो गई। इसके अलावा, पिछले एक दशक में 9,671 महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर के कारण दम तोड़ दिया, जिसमें 2014 में 857 से बढ़कर 2023 में 1,082 मौतें हुईं। यह आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कांग्रेस सांसद शशि थरूर के एक प्रश्न के उत्तर में लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों में शामिल थे।

पड़ोसी राज्यों के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चला है कि हरियाणा में ब्रेस्ट कैंसर से 15,515 और सर्वाइकल कैंसर से 6,461 मौतें हुईं, जबकि हिमाचल प्रदेश में इसी अवधि के दौरान ब्रेस्ट कैंसर से 4,823 और सर्वाइकल कैंसर से 2,010 मौतें हुईं। ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामलों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी साझा की गई। मंत्रालय ने खुलासा किया कि उसने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के एक घटक, गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NP-NCD) के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की है।

सरकार ने उठाए ये कदम
यह सहायता राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर प्रदान की जाती है। यह कार्यक्रम बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्धन और गैर-संचारी रोगों (NCD) की रोकथाम, जल्द निदान, प्रबंधन और उपचार के लिए स्वास्थ्य सेवा सुविधा के उचित स्तर पर रेफरल के बारे में जागरूकता पैदा करने पर केंद्रित है। इसके अलावा, NHM के तहत देश में व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के हिस्से के रूप में आम एनसीडी मधुमेह, उच्च रक्तचाप और आम कैंसर (मुंह, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा) की रोकथाम, नियंत्रण और जांच के लिए एक जनसंख्या-आधारित पहल भी शुरू की गई है। इन सामान्य एनसीडी की जांच आयुष्मान आरोग्य के तहत सेवा वितरण का एक अभिन्न अंग है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी ये जानकारी
मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) ने जून 2022 में 9-14 वर्ष की आयु की लड़कियों को लक्षित करते हुए सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए HPV वैक्सीन को सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश की थी। अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-2025 में इस सिफारिश को और मजबूती मिली, जिसमें टीकाकरण के महत्व पर जोर दिया गया। केंद्र ने जांच और प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल भी शुरू किया है। यह पोर्टल जो देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित करता है। पोर्टल 30 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या के लिए पांच सामान्य एनसीडी जिनेमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मौखिक, स्तन और सर्वाइकल कैंसर के लिए जनसंख्या गणना, जोखिम मूल्यांकन और जांच को सक्षम बनाता है।

पंजाब और हरियाणा में महिलाओं में अगर समय पर कैंसर की स्क्रीनिग यानी जांच की जाए तो उन्हें सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर से काफी हद तक बचाया जा सकता है।

प्रो. जेएस ठाकुर ने बताया कि पीजीआइ और मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर की ओर से हाल ही में किए गए शोध में यह सामने आया है कि पंजाब और हरियाणा में महिलाओं में कैंसर का पता लगाने के लिए समय पर स्क्रीनिग या जांच नहीं होती है, जो कि घातक साबित हो रहा है। अगर मरीजों की समय पर स्क्रीनिग की जाए तो सर्वाइकल, ब्रेस्ट कैंसर या अन्य कैंसर का पता लगाकर उसे बढ़ने से रोका जा सकता है।

शोध के मुताबिक पंजाब में 30-49 आयु वर्ग की महिलाओं में केवल चार फीसद में सर्वाइकल और दो फीसद में ब्रेस्ट कैंसर जांच की जाती है। वहीं मात्र 7.9 फीसद आबादी की मुंह के कैंसर की जांच की गई है। इसी तरह हरियाणा में 30 से 39 साल की महिलाओं में केवल 7.7 फीसद में सर्वाइकल और आठ फीसद में ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया है। हरियाणा में 14.7 फीसद लोगों में कभी मुंह के कैंसर की जांच की गई। पंजाब-हरियाणा से हर साल आते हैं कैंसर के पांच लाख मरीज

प्रो. ठाकुर ने बताया कि पीजीआइ में हर साल पंजाब और हरियाणा से कैंसर से पीड़ित करीब पांच लाख लोग इलाज के लिए आते हैं। इनमें महिलाओं में सर्विक्स, सर्वाइकल, ब्रेस्ट और मुंह का कैंसर ज्यादा पाया जाता है। वहीं पुरुषों में फेफड़ों और प्रोस्टेट का कैंसर अधिक पाया जाता है। हर साल 10 मिलियन लोगों की कैंसर से होती है मृत्यु

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