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बालाघाट – सीधी पुल टूटा, अरुण यादव बोले बिहार और एमपी में पुल टूटने की चल रही है प्रतियोगिता

भोपाल

देश में अगर पुल टूटने की बात आती हो तो पहला नाम बिहार का है अब यही हाल एमपी का होते जा रहा है, यहां भी लगातार पूरे टूट रही इसको लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सरकार पर हमला बोला है। लालबर्रा (बालाघाट) एवं कुसमी (सीधी) में पुल टूटने की जानकारी देते हुए उन्होंने बिहार से इसकी तुलना करते हुए कहा कि बिहार एवं मध्यप्रदेश में पुल टूटने की प्रतियोगिता चल रही है। 50 फीसदी कमीशन की पोल पहली बारिश में खुल गई है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में 10 दिन से लगातार बारिश हो रही है। तेज बारिश से सड़के भी उखड़ रहीं है।

50 फीसदी कमीशन के खेल
अरुण यादव ने कहा है कि मध्य प्रदेश में 50 फीसदी कमीशन के खेल की पोल पहली ही बारिश में खुल रही है। बैरसिया में एक हफ्ते में सड़क हाथ से उखड़ने लगी थी, तो बालाघाट के लालबर्रा क्षेत्र में निर्माणाधीन पुल बह गया और वहीं सीधी जिले के कुसमी क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से बना पुल (अप्रोच रोड़) 4 महीने में बह गया है।

बैरसिया के सड़क कभी उठाया था मामला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने इससे पहले राजधानी भोपाल के बैरसिया इलाके में करोड़ों की लागत से बनी सड़क को लेकर बीजेपी पर तंज कसा था। उन्होंने सोशल साइड एक्स पर पोस्ट कर लिखा था कि मप्र में सड़कों के हालात । यह मामला राजधानी से सटे बैरसिया तहसील का है जहां सड़क एक हफ्ते में ही उखड़ने लगी है । क्या यह मोदी जी के विकास की गारंटी है, जो 1 हफ्ते में ही सड़कें टूटने लगी है ? क्या यही वाशिंगटन से अच्छी सड़कें है ?  अरुण यादव मोहन सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जब भी उन्हें मौका मिलता है बे सोशल मीडिया के माध्यम मुद्दा उठाते हैं।

सरकार से ग्रीष्मकालीन मूंग की उपार्जन कार्य बढ़ाने की मांग
अरुण यादव ने कहा है कि प्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी चल रही है, मगर अभी भी प्रदेशभर के लाखों किसानों की तुलाई नहीं हो पाई है, पंजीयन पोर्टल बंद होने की वजह से सिर्फ नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले में ही सरकारी आंकड़ों के हिसाब 18 हज़ार से ज्यादा किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया है, कल केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के दवाब की वजह से सिर्फ सीहोर जिले के लिए पंजीयन पोर्टल खोला गया था, क्या सिर्फ शिवराज सिंह के गृह जिले सीहोर में ही मूंग उत्पादक किसान है ? बाकी प्रदेश के मूंग उत्पादक किसान कहाँ जाए ? मेरी मप्र सरकार से मांग है कि तीन दिन के लिए मूंग खरीदी का पोर्टल खोला जाए जिससे किसान अपना स्लॉट बुक कर सके साथ ही एक हफ्ते के लिए तुलाई बढ़ाई जाए जिससे प्रदेश के मूंग उत्पादक किसान अपनी मूंग समर्थन मूल्य पर बेंच सकें ।

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