ब्रेकिंग न्यूज

म्यांमार से भाग रहे रोहिंग्याओं पर ड्रोन हमले में कई दर्जन लोग मारे गए, पहले ड्रोन से पीछा किया, फिर बरसाईं गोलियां

ढाका
बांग्लादेश में मची मारकाट के बीच उसके पड़ोस में कई दर्जन रोहिंग्यों का फिर से कत्लेआम कर दिया गया। म्यांमार से भाग रहे रोहिंग्याओं पर ड्रोन हमले में कई दर्जन लोग मारे गए, जिनमें ऐसे परिवार भी शामिल थे जो अपने मासूम बच्चों के साथ भाग रहे थे। कई लोगों ने बताया कि शवों के ढेर लग गए। जीवित बचे लोग अपने रिश्तेदारों की पहचान करने के लिए शवों के ढेर के बीच भटक रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक, गवाहों, कार्यकर्ताओं और एक राजनयिक ने बताया कि ये हमला सोमवार को हुआ था। पहले ड्रोन ने उनका पीछा किया और फिर उन पर बम गिरा दिए। ये लोग पड़ोसी बांग्लादेश में सीमा पार करने का इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान उन पर ड्रोन से हमला किया गया।

अराकान आर्मी इसके लिए जिम्मेदार
गर्भवती महिला और उसकी 2 साल की बेटी भी पीड़ितों में शामिल थी। यह हाल के हफ्तों में सैनिक और विद्रोहियों के बीच लड़ाई के दौरान राखीन राज्य में नागरिकों पर सबसे घातक हमला था। तीन गवाहों ने शुक्रवार को रॉयटर्स को बताया कि अराकान आर्मी इसके लिए जिम्मेदार है, लेकिन समूह ने आरोपों से इनकार किया। मिलिशिया और म्यांमार की सेना ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए।

हमले में मारे गए लोगों की सटीक संख्या के बारे में पता नहीं चल पाया है। लेकिन ऐसी आशंका है कि कई दर्जन लोग मारे गए हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में कीचड़ भरे मैदान में शवों के ढेर दिखाई दे रहे थे, उनके सूटकेस और बैग उनके इर्द-गिर्द बिखरे पड़े थे। तीन जीवित बचे लोगों ने बताया कि 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि घटना के बाद के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उसने कम से कम 70 शव देखे हैं। जो वीडियो सामने आया है उसके हिसाब से घटना म्यांमार के तटीय शहर मौंगडॉ के ठीक बाहर हुई थी।

गर्भवती महिलाएं, बच्चों की भी मौत
एक गवाह, 35 वर्षीय मोहम्मद इलियास ने कहा कि हमले में उनकी गर्भवती पत्नी और 2 वर्षीय बेटी घायल हो गईं और बाद में उनकी मौत हो गई। बांग्लादेश में एक शरणार्थी शिविर से इलियास ने बताया कि जब ड्रोन ने भीड़ पर हमला करना शुरू किया, तो वह उनके साथ तटरेखा पर खड़ा था। उन्होंने कहा, "मैंने कई बार गोलाबारी की गगनभेदी आवाज सुनी।" इलियास ने कहा कि वह खुद को बचाने के लिए जमीन पर लेट गया और जब वह उठा, तो उसने देखा कि उसकी पत्नी और बेटी गंभीर रूप से घायल हैं और उसके कई अन्य रिश्तेदार मर चुके हैं। एक दूसरे गवाह, 28 वर्षीय शमसुद्दीन ने कहा कि वह अपनी पत्नी और नवजात बेटे के साथ बच गया। बांग्लादेश में एक शरणार्थी शिविर से बोलते हुए, उन्होंने कहा कि हमले के बाद कई लोग मृत पड़े थे और "कुछ लोग अपनी चोटों के दर्द से चिल्ला रहे थे"।

नावें पलटने से भी कई लोग मरे
दो प्रत्यक्षदर्शियों और बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, म्यांमार में अत्यधिक उत्पीड़न का सामना कर रहे मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य रोहिंग्याओं को लेकर जा रही नावें भी सोमवार को दोनों देशों को अलग करने वाली नाफ नदी में डूब गईं, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए। मेडिसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स ने एक बयान में कहा कि सहायता संगठन ने शनिवार से म्यांमार से बांग्लादेश में प्रवेश करने वाले 39 लोगों का इलाज किया है, जो हिंसा से संबंधित चोटों से घायल थे। उनको मोर्टार शेल की चोटें और बंदूक की गोली लगी थी। बयान में कहा गया है कि मरीजों ने बताया कि नदी पार करने के लिए नाव खोजने की कोशिश करते समय लोगों पर बमबारी की गई। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी को "बंगाल की खाड़ी में दो नावों के पलटने से शरणार्थियों की मौत की जानकारी है" और उसने मौंगडॉ में नागरिकों की मौत की खबरें सुनी हैं, लेकिन वह संख्या या परिस्थितियों की पुष्टि नहीं कर सकता।

2017 से बढ़ी मारकाट
बौद्ध बहुल म्यांमार में रोहिंग्या को लंबे समय से सताया जा रहा है। 2017 में सैन्य नेतृत्व वाली कार्रवाई के बाद उनमें से 730,000 से अधिक लोग देश छोड़कर भाग गए थे। इसके बारे में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि यह नरसंहार के इरादे से किया गया था। 2021 में सेना द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार से सत्ता हथियाने के बाद से म्यांमार में उथल-पुथल मची हुई है और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन व्यापक सशस्त्र संघर्ष में बदल गए हैं। रोहिंग्या कई हफ्तों से राखीन छोड़ रहे हैं क्योंकि अराकान आर्मी, जो कई सशस्त्र समूहों में से एक है, उसने उत्तर में बड़े पैमाने पर जीत हासिल की है। उस इलाके में मुसलमानों की एक बड़ी आबादी रहती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *