यूक्रेनी सेना ने एक सैन्य ऑपरेशन में रूस के खिलाफ बड़ी कामयाबी पाई, 1,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर किया कब्जा

मॉस्को
 यूक्रेन के शीर्ष सैन्य कमांडर जनरल ऑलेक्जेंडर सिर्स्की ने कहा है कि उनकी सेना ने रूस के कुर्स्क में बड़े हिस्से पर कब्जा करते हुए क्षेत्र में अहम बढ़त हासिल की है। सिर्स्की का दावा है कि यूक्रेनी सेना का कुर्स्क में 1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर नियंत्रण हो गया है। जनरल सिर्स्की के बयान को यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के टेलीग्राम चैनल पर साझा किया गया है। कुर्स्क में ऑपरेशन शुरू करने के बाद इस संबंध में यूक्रेन की सेना और सरकार की ओर से ये पहली सार्वजनिक स्वीकृति है। इसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूसी जमीन पर सबसे बड़ा कब्जा कहा जा रहा है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सेना का आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूसी धरती पर सबसे बड़ा हमला था। यह घटनाक्रम मॉस्को के सैन्य नेतृत्व के लिए एक गंभीर शर्मिंदगी का सबब बन रही है। इसके लिए रूस की सेना और सरकार को युद्ध से निपटने के लिए बढ़ती आंतरिक आलोचना का भी सामना करना पड़ा है।

28 रूसी बस्तियों पर यूक्रेन का कब्जा

कुर्स्क गवर्नर एलेक्सी स्मिरनोव ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बताया कि यूक्रेनी सेना 40 किलोमीटर के मोर्चे पर 12 किलोमीटर तक क्षेत्र में घुस आई है। कीव की सेना ने 28 रूसी बस्तियों पर कब्जा कर लिया है। स्मिरनोव के मुताबिक, इस हमले में 12 नागरिक मारे गए हैं और 121 घायल हुए हैं। वहीं करीब एक लाख 21 हजार लोगों को घरों से भागना पड़ा है। रूसी सेना अभी भी आश्चर्यजनक यूक्रेनी हमले से जूझ रही है और एक सप्ताह की लड़ाई के बाद भी कोई प्रभावी जवाबी कार्रवाई नहीं कर पाई है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन का कहना है कि यूक्रेन स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश में लगा है।पुतिन ने घुसपैठ पर अपनी टिप्पणी में सुझाव दिया कि यूक्रेन के इस हमले का उद्देश्य संभावित शांति वार्ता में अपना पक्ष मजबूत करना था। उन्होंने कीव पर रूस पर प्रभुत्व हासिल करने के लिए अपने पश्चिमी आकाओं की मदद से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये अन्य क्षेत्रों में रूसी सेना की प्रगति को धीमा करने का प्रयास है। रूसी अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि यूक्रेन की घुसपैठ का उद्देश्य अपने पश्चिमी सहयोगियों को यह दिखाना है कि वह अभी भी बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान चला सकता है, भले ही दोनों पक्षों पर बातचीत पर विचार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बन रहा हो।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *