पिछले पांच सालों में बैंक ऋण देने में 12 गुना बढ़ोतरी

भोपाल
मध्यप्रदेश में महिलाओं के स्व-सहायता समूहों की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था अब तेजी से मजबूत हो रही है। वर्ष 2023-24 में एक लाख 63 हजार 500 स्व-सहायता समूहों को सार्वजनिक, निजी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने आर्थिक गतिविधियां शुरू करने के लिए 3584 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया गया। वर्ष 2012-13 से अब तक 7.09 लाख स्व-सहायता समूहों को 10 हजार 337 करोड़ रूपए का बैंक ऋण उपलब्ध कराया गया। पिछले पांच सालों में स्व-सहायता समूहों के आर्थिक रूप से सक्षम होने से बैंकों द्वारा दी जाने वाली ऋण की राशि भी बढ़ती जा रही है।

पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने स्व-सहायता समूहों की मेहनती सदस्य बहनों को साख सुविधा उपलब्ध कराने के लिये बैंकों का आभार माना है। उन्होंने बैंकों से ऋण चुकाने की क्षमता अनुसार और ज्यादा मदद करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि गांवों में रहने वाले परिवारों की आर्थिक आत्मनिर्भता से गांवों की समृद्धि बढ़ेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर गांव – समृद्ध गांव का सपना पूरा करने में मध्यप्रदेश आगे बढ़कर काम करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये एक नवम्बर से महिला सशक्तीकरण मिशन की शुरूआत हो रही है।

बैंक ऋण वितरण में 12 गुना वृद्धि
वर्ष 2019-20 में स्व-सहायता समूहों को 303 करोड़ रूपए बैंक ऋण दिया गया था, जबकि वर्ष 2023-24 में 3584 करोड़ रूपए राशि का बैंक ऋण उपलब्ध करवाया गया। इस प्रकार पिछले पांच वर्षों में बैंक ऋण वितरण में 12 गुना बढ़ोतरी हुई है। इन समूहों का एनपीए यानी फंसे हुए कर्ज की राशि मात्र 1.1 प्रतिशत है। यह इस बात का प्रमाण है कि मध्यप्रदेश के गांवों की मेहनती महिलाएं वित्तीय अनुशासन के प्रति बहुत ज्यादा सचेत हैं। वर्ष 2020-21 में 510 करोड़, वर्ष 2021-22 में 1408 करोड़ और वर्ष 2022-23 में 2452 करोड़ का बैंक ऋण दिलाया गया। राष्ट्रीय स्तर पर बैंक ऋण राशि वितरण में पिछले पांच सालों में 39 प्रतिशत वार्षिक दर की प्रगति है जबकि मध्यप्रदेश में 217 प्रतिशत वार्षिक प्रगति दर से समूहों को ऋण राशि का वितरण हुआ है। वर्ष 2024-25 में अब तक 68 हजार 414 स्व-सहायता समूहों को सार्वजनिक निजी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अपनी आर्थिक गतिविधियों के लिए 1101 करोड़ रुपये का ऋण मिला है।

स्व-सहायता समूहों की संख्या और उनके सदस्यों को मिले बैंक ऋण के आधार पर पहले 10 जिलों में बालाघाट में सबसे ज्यादा 8131 समूहों को 200 करोड़ का ऋण मिला। दूसरे नम्बर पर छिन्दवाड़ा के 8002 समूहों को 192 करोड़, तीसरे नम्बर पर सिवनी के 7050 समूहों को 148 करोड़ का बैंक ऋण मिला। चौथे नम्बर पर मंडला के 6688 समूहों को 142 करोड़, पांचवें नम्बर पर धार के 6603 समूहों को 126 करोड़, बैतूल के 6183 समूहों को 141 करोड़ बैंक ऋण मिला। शहडोल के 5915 समूहों को 103 करोड़, सतना के 5574 समूहों को 111 करोड़, सागर के 4980 समूहों को 102 करोड़ और झाबुआ के 4900 समूहों को 109 करोड़ का ऋण मिला।

आर्थिक बदलाव की पटकथा लिख रही समूह की महिलाएं
बालाघाट के लांजी विकासखंड के खाण्डाफरी ग्राम पंचायत के 14 सदस्यों वाला आराधना आजीविका स्व-सहायता समूह वर्ष 2017 में बना। समूह ने वर्ष 2020 में डेढ लाख रूपये का ऋण लिया और इसे चुका कर वर्ष 2021 में तीन लाख का ऋण लिया और एक साल के भीतर इसे चुका कर 2022 में छह लाख का ऋण लिया। अब ऋण चुकाने की क्षमता और बढ़े अत्मविश्वास के सहारे समूह ने पिछले साल मार्च में 10 लाख का ऋण लिया है। कई सदस्य एक साथ 2-3 आर्थिक गतिविधियां भी कर रहे हैं। पार्वती बूढ़ाजले किराना दुकान भी चलाती हैं और मुरमुरा बनाने का भी काम करती हैं। भोजकली सोनवाने खेती भी करती हैं और फर्नीचर निर्माण में भी पारंगत हैं। उन्हें सालाना एक लाख 40 हजार तक की आमदनी हो रही है।

सिवनी जिले के सिवनी विकासखंड के खैरी ग्राम पंचायत के सिमरिया गांव का 12 सदस्यों वाला अम्बिका स्व-सहायता समूह वर्ष 2020 में बना। इसकी अध्यक्ष प्रभा चौधरी हैं। पहली बार यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से एक लाख 50 हजार रूपये का ऋण लिया। इसे चुका कर वर्ष 2021-22 में तीन लाख का दूसरा ऋण लिया और इसे लौटा कर वर्ष 2023-24 में छह लाख का ऋण लिया। इस प्रकार 10 लाख 50 हजार रूपये से सभी बारह सदस्य महिलाओं ने छोटी-छोटी आर्थिक गतिविधियां शुरू की। सविता चौधरी ने जनरल स्टोर शुरू किया और एक लाख 20 हजार रूपये की वार्षिक आमदनी उन्हें हो रही है। पूजा सोनिया ने गाय पालन कर छोटी सी डेयरी चलाती हैं। उनकी सालाना आमदनी एक लाख 22 हजार रूपये है।

इसी प्रकार छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ विकास खंड के बीसापुराकला ग्राम पंचायत के श्री कृष्णा स्व-सहायता समूह के पास कुल पूंजी 73 हजार 560 रूपये है। यह समूह वर्ष 2018 में बना। पहले साल मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक की बीसापुरकला शाखा से एक लाख का ऋण लिया। इसे दो साल में चुका कर वर्ष 2020 में दो लाख का और फिर 2022 में 6 लाख का ऋण लिया। इस तरह कुल 9 लाख के ऋण से समूह के 11 सदस्यों ने अपने पसंद की गतिविधियां शुरू की। समूह की सदस्य कंचन बुनकर और बबीता गुलवास्कर ने सब्जी बेचने का व्यवसाय शुरू किया। कंचन बुनकर सालाना सवा लाख और बबीता गुलवास्कर डेढ़ लाख तक कमा रही हैं। समूह की अध्यक्ष ममता इन्दौरीकर को कपड़ा और सिलाई व्यवसाय से उनकी सालाना आय एक लाख 80 हजार तक पहुंच गई है।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *