राकेश गंगवाल ने इंडिगो के 2.3 करोड़ शेयर बेच, ब्‍लॉक डील के बाद जमीन पर गिरे स्‍टॉक, कितना हुआ नुकसान

नई दिल्ली
 देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के शेयरों में आज भारी गिरावट दिख रही है। बुधवार को कंपनी का शेयर कारोबार के दौरान 4,944.60 रुपये के ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया था लेकिन यह 3% गिरावट के साथ 4,714.90 रुपये पर आ गए। कंपनी के को-फाउंडर राकेश गंगवाल ने ब्लॉक डील के जरिए लगभग 11,000 करोड़ रुपये शेयर बेच दिए। उन्होंने कंपनी के 2.3 करोड़ शेयर बेचे। जून तिमाही के अंत में उनके पास 5.89% हिस्सेदारी थी। गंगवाल ने साल 2006 में राहुल भाटिया के साथ मिलकर इंडिगो की स्थापना की थी। माना जा रहा है कि अब उन्होंने इंडिगो में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है।

आज की ब्लॉक डील औसतन 4,760 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर हुआ। पहले ऐसी रिपोर्ट आई थी कि गंगवाल 3.8 फीसदी हिस्सेदारी 7,100 करोड़ रुपये में बेच सकते हैं। लेकिन उन्होंने 11,000 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं। इससे साफ है कि वह पूरी तरह कंपनी से निकल चुके हैं। गंगवाल फरवरी 2022 में इंडिगो के बोर्ड से हट गए थे और उन्होंने धीरे-धीरे एयरलाइन में अपनी हिस्सेदारी कम करने की बात कही थी। उनकी पत्नी शोभा गंगवाल पहले ही एयरलाइन में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच चुकी हैं। जून 2024 को समाप्त तिमाही में राकेश गंगवाल के पास कंपनी की लगभग 6% इक्विटी थी। उनके पारिवारिक ट्रस्ट द चिंकरपू फैमिली ट्रस्ट के पास 13.49% हिस्सेदारी थी।

किसकी कितनी हिस्सेदारी

अगस्त 2023 में शोभा गंगवाल ने खुले बाजार के माध्यम से कंपनी में अपनी चार फीसदी हिस्सेदारी करीब 2,944 करोड़ रुपये में बेच दी थी। गंगवाल ने शेयरों में आई रेकॉर्ड तेजी का लाभ उठाते हुए अपनी हिस्सेदारी बेची है। पिछले एक साल में इंडिगो के शेयरों में लगभग 95% की तेजी हुई है। इस कैलेंडर वर्ष में कंपनी का शेयर 63.30% उछल चुका है। बुधवार को कंपनी का शेयर 4,944.60 रुपये के ऑल-टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया था। आखिर में यह 2.4% बढ़कर 4,859.20 रुपये पर बंद हुआ। गंगवाल ने 18 फरवरी, 2018 को इंडिगो के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। भाटिया और उनसे जुड़ी कंपनियों की इंडिगो में 35.91 फीसदी हिस्सेदारी है।

इंडिगो की शुरुआत साल 2006 में राहुल भाटिया ने राकेश गंगवाल के साथ मिलकर की थी। आज यह देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है। भारतीय बाजार में इसकी हिस्सेदारी करीब 52 फीसदी है। राहुल भाटिया दिल्ली के रहने वाले हैं जबकि राकेश गंगवाल अमेरिका में रहते हैं। गंगवाल कई बड़ी एयरवेज कंपनियों में काम कर चुके थे और उन्हें इस सेक्टर का काफी अच्छा नॉलेज था। भाटिया ने ही गंगवाल के सामने एयरलाइन शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। इस तरह इंडिगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन की शुरुआत 2004 में हुई। उस समय देश की एविएशन इंडस्ट्री भारी नुकसान से जूझ रही थी। इसके बावजूद दोनों ने इस सेक्टर में उतरने की ठानी।

उधार लिए विमान

साल 2004 में ही उन्हें एयरलाइन शुरू करने का लाइसेंस भी मिल गया। लेकिन कंपनी 2006 तक अपनी सेवाए शुरू नहीं पाई क्योंकि उसके पास विमान नहीं थे। गंगवाल ने अपनी जान-पहचान के चलते कंपनी को एयरबस से उधारी पर 100 विमान दिलाए। आखिरकार चार अगस्त 2006 से कंपनी ने अपनी उड़ान शुरू की। जब इंडिगो ने अपना सफर शुरू किया तो एविएशन इंडस्ट्री मुश्किल दौर से गुजर रही थी। कई दिग्गज एयरलाइन के बीच अपनी जगह बनाना आसान नहीं था। ऐसे में कंपनी ने सबसे पहले कंपनी ने उन लोगों को अपना कस्टमर बेस बनाया जो हवाई सफर तो करना चाहते थे लेकिन उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे। इससे इंडिगो के अधिक से अधिक टिकट बिके और उसे नुकसान न के बराबर हुआ।

कंपनी ने देश के प्रमुख शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने का काम किया और कम कीमत पर लोगों को हवाई यात्रा देने का सपना पूरा किया। इंडिगो के जरिए ही हवाई चप्पल पहने लोगों का भी प्लेन में बैठने का सपना पूरा हुआ। हवाई जहाज में घूमना एक मिडिल क्लास परिवार के लिए केवल सपना होता है। इंडिगो ने उनके इस सपने को पूरा किया। कंपनी अभी रोजाना करीब 1800 फ्लाइट्स ऑपरेट करती है और इसमें करीब 25,000 लोग काम करते हैं। पिछले साल इंडिगो ने एयरबस को 500 विमानों का ऑर्डर दिया जो एविएशन इतिहास का सबसे बड़ा ऑर्डर है।

विवाद की वजह

साल 2020 में राकेश गंगवाल और राहुल भाटिया के बीच विवाद पैदा हो गया था। गंगवाल ने कंपनी के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन के नियमों में बदलाव की मांग की थी। लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई और गंगवाल ने फरवरी 2022 में कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। तबसे गंगवाल का परिवार कंपनी में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने की कोशिशों में लगा था।

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