गया.
गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान देश-विदेश के कोने-कोने से लाखो की संख्या में हिंदू सनातन धर्मावलंबी यहां आकर अपने पितरों का मोक्ष, सद्गति, उद्धार के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्धकर्मो को पूरा करते है। ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिल जाती है। वहीं भारत–पाकिस्तान के बंटवारा के समय लाखो लोग पाकिस्तान से भारत में लौटे थे और कुछ लोग पाकिस्तान से भारत नही लौट पाए थे।
गया में चल रहे पितृपक्ष मेला के दौरान पिंडदान करने पहुंचे हरियाणा के जिंद के रहने वालो का पूर्वज पाकिस्तान के मुल्तान जिले के तमन गांव के रहने वाले थे। वहीं उनकी मौत हो गई थी। इनके पूर्वज पाकिस्तान के मूल निवासी थे।अब उनके परिजन अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए गया में पिंडदान करने पहुंचे है। इस संबंध में लवली भारद्वाज ने बताया कि उनके पूर्वज जो पाकिस्तान में रहते थे। उनकी इच्छा थी कि मरने के बाद मुक्ति के लिए उनका पिंडदान गयाजी में हों। वहीं उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करने गया पहुंचे हैं। इसके लिए खुद को भाग्यशाली मानते हुए कहा कि यह मौका मिला है। मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। वहीं बंटवारा के समय कई लोग भारत नही लौट सके। अभी भी पाकिस्तान में है। उनकी भी गया में पिंडदान की इच्छा होती होगी।
पिंडदान करने पहली बार गया पहुंचे हैं
वहीं हरिवंश लाल ने बताया कि उनके पूर्वज पाकिस्तान में रहते थे। जहां उनका निधन हुआ। उनका पिंडदान करने पहली बार गया पहुंचे हैं। तिलक भारद्वाज ने बताया कि उनके दादा और आगे के पूर्वज पाकिस्तान में ही रहते थे। बंटवारा के साथ उनके पिता हरियाणा के जिंद में आकर रहने लगे। अपने पूर्वज और सगे संबंधियों के मुक्ति के लिए वह पहली बार गया पहुंचे है। जहां 4 अलग-अलग पिंडवेदियो पर पिंडदान, तर्पण और कर्मकांडो को पूरा कर रहे है। जिला प्रशासन के द्वारा की गई व्यवस्थाओं को सराहा है।