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‘झांसी की रानी’ की मूर्ति को लेकर भाजपा और आप पार्टी आमने सामने, सांप्रदायिक संगठन के एजेंडे को दे रहे बढ़ावा

नई दिल्ली
‘झांसी की रानी’ की मूर्ति को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी आमने सामने आ गए हैं। आप ने दावा किया है कि भाजपा झांसी की रानी की मूर्ति को हटा रही है। आप के इस दावे पर दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने करारा जवाब दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, जमानत पर आए आप नेता एक सांप्रदायिक संगठन के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसने रानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति की स्थापना और रानी झांसी रोड परियोजना का विरोध किया था, एक ऐसा संगठन जिसे पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा फटकार लगाई जा चुकी है।

दरअसल, आप नेता ने बुधवार को पार्टी कार्यालय में एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “53 वर्षों तक आरएसएस और भाजपा ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। उन्होंने संसद से महात्मा गांधी, बाबासाहेब अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्तियां हटा दीं, जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने आते थे। भाजपा और मोदी सरकार ने महात्मा गांधी, बाबासाहेब अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया है। अब वे दिल्ली से ‘झांसी की रानी’ और 1857 के युद्ध की योद्धा लक्ष्मी बाई की मूर्ति हटा रहे हैं।

आप नेता को जवाब देते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, जमानत पर छूटे आप नेता को इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी नहीं है। जो कि साल 2016-17 में अरविंद केजरीवाल शासित दिल्ली सरकार ने शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत तीस हजारी से फिल्मिस्तान होते हुए पंचकुइयां रोड तक यातायात आवाजाही को सुगम बनाने के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया था। इस प्रोजेक्ट के तहत सड़कों का चौड़ीकरण कर रेड लाइट फ्री करना था। देशबंधु गुप्ता चौक पर लगी रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग लेकर आया था।

सचदेवा ने कहा, जिस जगह पर रानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति स्थापित हो रही है, वह जमीन डीडीए की है। इस जमीन को लेकर एक विशेष वर्ग कोर्ट पहुंचा कि यह जमीन वक्फ की है। हाईकोर्ट ने इस पर कल ही फटकार लगाई है, और यह जमीन डीडीए की बताई है। सचदेवा ने कहा, कुछ वोटो की खातिर और दिल्ली में माहौल खराब करने के लिए आप नेता रानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति को लेकर राजनीति कर रहे हैं।

 

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