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56 साल बाद अब चारों जवानों को नसीब होगी अपने गांव की मिट्टी, लाहौल स्पीति की बर्फ में दबे जांबाजों की कहानी

शिमला/लाहौल स्पीति
ये कहानी उन चार फौजियों की है, जिनके शवों के अवशेष 56 साल बाद मिले हैं। ये सभी फौजी हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में एक विमान हादसे में शहीद हो गए थे। 29 सितंबर 2024 को चन्द्रभागा-13 ढाका ग्लेशियर में सैनिकों के शवों के अवशेष बरामद हुए हैं। इन फौजियों में मलखान सिंह, सहारनपुर, नारायण सिंह पौड़ी-गढवाल और मुंशी राम, रेवाड़ी और थॉमस चैरियन केरल के तौर पर हुई है। सेना की रेस्क्यू टीम ने इन्हें निकाला है और अब काजा के लोसर हेलिपेड से इन अवशेषों को चंडीगढ़ भेजा गया।

1968 में हुआ था हादसा
मामला 7 फरवरी 1968 का है। जब चंडीगढ़ से लेह के लिए भारतीय वायुसेना का एएन-12 जा रहा था। इसमें क्रू-मेम्बर के साथ कुल 102 सैनिकों सवार थे। इस दौरान रोहतांग दर्रे के करीब विमान का संपर्क टूटा और फिर यह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस विमान के खोज के लिए वर्ष 2004, 2007, 2013, 2019 विशेष अभियान चलाया गया है। डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए और 2005, 2006, 2013 और 2019 में सर्च ऑपरेशन पांच शव बरामद किए थे।

2003 में मिले थे विमान के पार्टस
2003 में सबसे पहले मनाली के पर्वतारोही संस्थान के ट्रैकर्स ने विमान को खोजा था। 56 साल के बाद 29 सितंबर 2024 को चन्द्रभागा-13 ढाका ग्लेशियर में सैनिकों के शव बरामद हुए। भारतीय सेना के विशेष टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद शवों को लोसर लाया गया। मनाली के एक ट्रैकर का कहना है कि साल 2023 में जब उन्होंने भी ढाका ग्लेशियर ट्रैक किया था तो यहां पर विमान का मलबा और कुछ फौजियों के अवेशष देखे थे और फोटो और वीडियो शेयर किए थे। उसने बताया कि यहां पहुंचने के लिए 2 दिन का वक्त लगता है। गर्मियों में बर्फ पिघलने के बाद यहां पर ट्रैकिंग करने वह गए थे। यहां पर पहुंचना आसान नहीं है, आम लोग यहां पर नहीं जाते हैं।

 लाहौल स्पीति की चंद्रभागा रैंज में 56 साल पहले हुए विमान हादसे में अब चार फौजी जवानों के शव बरामद किए गए हैं. भारतीय सेना की टीम ने इन शवों को वहां से निकाला है और स्पीती के काजा के लोसर ले गई है. यहां पर शवों को परिवारों को सौंपा जाएगा. इन चार शवों में हरियाणा के रेवाड़ी के सिपाही मुंशीराम भी शामिल हैं. सभी शवों की पहचान हो गई है.

जानकारी के अनुसार, 7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए इंडियन एयरफोर्स के एक विमान ने उड़ान भरी थी. इस विमान में 102 लोग सवार थे. लेकिन हिमाचल के रोहतांग दर्रे के पास विमान का संपर्क टूट गया था और फिर आगे बातल के ऊपर चंद्रभागा रैंज में विमान क्रैश हो गया था.

विमान में रेवाडी की बावल तहसील के गांव गुर्जर माजरी के सिपाही स्वर्गीय मुन्शीराम भी सवार थे और 56 साल बाद अब उनकी बॉडी के अवेशष बरामद हुए हैं.  रेवाड़ी के डीसी अभिषेक मीणा ने  बताया कि सैन्य अभियान दल ने बर्फ से ढके पहाड़ों से चार शव बरामद किए हैं, उनमें स्वर्गीय मुन्शीराम के अवशेष भी हैं. उनके पार्थिव शरीर को जल्द ही गांव में लाया जाएगा. स्वर्गीय मुन्शीराम के पिता का नाम भज्जूराम, माता का नाम रामप्यारी तथा पत्नी का नाम श्रीमति पार्वती देवी है. स्वर्गीय मुन्शीराम के भाई कैलाशचन्द को इस सम्बन्ध में सेना की ओर से सूचना मिली हैं.

लेह के लिए चंडीगढ़ से फौजियों ने भरी थी उड़ान

गौरतलब है कि यह विमान हादसा 7 फरवरी, 1968 को हुआ था. चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के पर्वतारोहियों ने विमान के मलबे को खोजा था. बाद में सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए और 2005, 2006, 2013 और 2019 में सर्च ऑपरेशन पांच शव बरामद किए थे. हालांकि, इस दौरान मनाली के कई ट्रैकर्स ने भी विमान के मलबे को स्पॉट किया था.

लाहौस स्पीति के एसपी मयंक चौधरी ने बताया कि कि चंद्रभागा रैंज से चार जवानों के शवों को बरामद किया गया है. इन्हें काजा के लोसर ले जाया गया है और वहां पर मेडिकल टीम के अलावा, पुलिस की टीम भी मौजूद है. पोस्टरमार्टम के बाद परिजनों को ये शव सौंपे जाएंगे.

2003 में हुई हादसे की पुष्टि

2003 में, अधिकारियों ने पुष्टि की कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और कुछ शव बरामद किए गए थे. जिसके बाद अरनमुला से स्थानीय पुलिस ने थॉमस चेरियन के बारे में विवरण सत्यापित करने के लिए उनके घर का दौरा किया, जहां उनका परिवार रहता है. भाई थॉमस वर्गीस को समझ नहीं आ रहा था कि वह ऐसे समय क्या करें. हालांकि, उन्होंने दुख और राहत दोनों व्यक्त करते हुए कहा कि, यह उनके लिए दुखद भरा क्षण है लेकिन कब्र में दफनाने के लिए अपने भाई के अवशेषों को प्राप्त करने से कुछ शांति मिली है.

तीन शवों की पहचान

शैजू मैथ्यू ने बताया- परिवार 56 वर्षों के बाद भी उनकी निरंतर खोज के लिए सरकार और सेना के प्रति आभार व्यक्त करता है. केरल के कई अन्य सैनिक भी AN12 विमान में सवार थे, जिनमें कोट्टायम के केपी पनिकर, केके राजपन और आर्मी सर्विस कोर के एस भास्करन पिल्लई शामिल थे. इन सैनिकों के शव अभी तक नहीं मिले हैं. सितंबर में रोहतांग दर्रे में चार और शव मिले थे, और इनमें से तीन की पहचान हो गई है, जिसमें थॉमस चेरियन का शव भी शामिल है. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि चौथा शव रन्नी के एक सैनिक पीएस जोसेफ का हो सकता है, जो विमान में भी था.

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