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मामा शिवराज ने अपने लिए नहीं मांगे वोट, लेकिन अपने साथी के लिए वोट मांगने पहुंचेंगे गांव-गांव

बुधनी

बुधनी विधानसभा में वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद ऐसा मौका पहली बार देखने को मिलेगा, जिसमें शिवराज सिंह चौहान स्वयं भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगते हुए नजर आएंगे। इस अवधि में उन्होंने विधानसभा चुनाव में कभी भी वोट नहीं मांगे थे। लेकिन इस बार परिस्थितियां ठीक नहीं होने के कारण उन्हें मैदान में उतरना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि अपने खास सखा के लिए वह बुधनी विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में पहुंचकर जनसभाओं को संबोधित करेंगे। पहले दौरे कार्यक्रम के मुताबिक वह सात नवम्बर को पिपलानी, छिदगांव काछी व रेहटी में चुनावी सभाओं को संबोधित करने के साथ ही आम मतदाताओं से रूबरू होंगे।

बुधनी में विधानसभा का उपचुनाव होना है, जिसमें भाजपा की ओर से रमाकांत भार्गव प्रत्याशी हैं। 2006 से लेकर 2023 तक हुए सभी चुनावों में शिवराज सिंह चौहान भाजपा की ओर से प्रत्याशी रहे हैं। 2006 में हुए उपचुनाव के दौरान उनके द्वारा विधानसभा क्षेत्र में पदयात्रा करते हुए वोट मांगे गए थे। लेकिन उसके बाद हुए आम चुनावों में वह अपने लिए कभी भी बुधनी की जनता के पास वोट मांगने नहीं आए थे। विपक्षी दल से कोई भी नेता चुनाव मैदान में उतरा हो या फिर किसी भी बड़े स्टार प्रचारक की सभा हुई हो उसके बावजूद भी उन्होंने विधानसभा की और अपना रुख नहीं किया था। उनका पूरा चुनाव क्षेत्र के कार्यकर्ता और जनता के हवाले ही रहता था। इसके बावजूद भी हर चुनाव में उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता ही रहा। लेकिन आगामी 13 नवम्बर को होने वाले उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान को भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगने गांव-गांव दस्तक देना पड़ रहा है।

माना जा रहा है कि झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव की व्यस्तता के बावजूद भी उन्हें बुधनी में अपना समय देना पड़ रहा है। इसके पीछे बड़ा कारण भाजपा प्रत्याशी का कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच पुरजोर विरोध है, जिसे थामने के लिए शिवराज सिंह चौहान मैदान में उतर रहे हैं। उनके द्वारा लगातार भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं व नेताओं से सतत संपर्क बनाकर चुनाव में जुटने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

बुधनी में कांग्रेस की काट है शिवराज
बुधनी विधानसभा में कांग्रेस की काट शिवराज सिंह चौहान हैं, जिन्होंने कांग्रेस के गढ़ को नेस्तनाबूद किया था। उसके बाद से लेकर अभी तक कभी भी कांग्रेस इस विधानसभा पर जीत का परचम नहीं लहरा सकी है। वर्ष 1990 में अपनी राजनीति का आगाज करने के बाद पहला चुनाव उन्होंने 24,000 से भी अधिक मतों से जीता था। उसके बाद से उनकी जीत का कारवां लगातार जारी रहा। लेकिन इस बार शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा से प्रत्याशी नहीं है। ऐसे में कांग्रेस इस मौके को गंवाना नहीं चाहती। शिवराज सिंह चौहान की जन्म और कर्म स्थली कहलाने वाली बुधनी सीट को कांग्रेस के हाथों में नहीं जाने देना चाहते। जिसके कारण वह पुरजोर प्रयास करते हुए भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव (जिन्हें उनका सबसे खास सखा माना जाता है) के पक्ष में मैदान में उतरने वाले हैं।

जनता का मूड, शिवराज के लिए सभी एक, लेकिन भार्गव के लिए चुनौती
बुधनी विधानसभा क्षेत्र की जनता का मूड  शिवराज सिंह चौहान के लिए तो हमेशा एक ही रहा है। लेकिन भाजपा के द्वारा घोषित किए गए प्रत्याशी रमाकांत भार्गव के लिए आम जनता चुनौती साबित हो रही है। भाजपा प्रत्याशी का कार्यकर्ताओं के बीच ही पुरजोर विरोध होना पार्टी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। भाजपा के द्वारा आयोजित किए जा रहे कार्यकर्ता सम्मेलन( दीपावली मिलन समारोह) में भी पार्टी कार्यकर्ताओं की कम उपस्थिति नेताओं के लिए चिंता का कारण बन गई है।

इसके पीछे बड़ा कारण कुछ समय पूर्व टिकट वितरण से उपजा विरोध है। हालांकि भाजपा संगठन ने अपने सभी जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं को एकजुट कर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार की जिम्मेदारी सौंप दी है। गौरतलब है कि 1990 में राजनीति का आगाज करने के बाद शिवराज सिंह ने पहला चुनाव 24000 से भी अधिक मतों से जीता था। उसके बाद से उनकी जीत का कारवां यहां लगातार जारी रहा। वहीं कांग्रेस भी इस बार बुदनी विधानसभा सीट का जीतकर शिवराज सिंह चौहान का किला भेदने की तैयारी में जुट गई है।

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