नहीं रही बिहार कोकिला शारदा सिन्हा

बिहार

केलवा के पात पर उगेलन सुरुज झांके झुके, ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके… ये गाने कानों में पड़ते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन गानों से छठ गुलजार होता है। इस आवाज के बिना ये महापर्व अधूरा माना जाता है। ये गीत घाटों पर गूंजते हैं और घरों में महिलाएं इन्हें गुनगुनाकर आस्था में नहा उठती हैं। पर इन्हें आवाज देने वाली शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने नहाय-खाय के दिन हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया। छठ के पहले दिन उनका गुजरना फैंस को जिंदगी भर की कसक दे गया।

44 दिन पहले पति ब्रज किशोर सिन्हा के बिछोह में शारदा सिन्हा ऐसी गमजदा हुईं कि बीमारी ने उन्हें जकड़ लिया और उनकी सांसें छीन लीं। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली एम्स से बुधवार को पटना लाया जाएगा, जहां अंतिम दर्शन होंगे और गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार होगा। 72 साल की लोकगायिका, बिहार की कोकिला की एक ख्वाहिश भी थी, जो अब हमेशा के लिए अधूरी रह गई।

काशी विश्वनाथ के चरणों में सुरों से हाजिरी लगाना चाहती थीं शारदा
रामलला के दर्शन करने के बाद शारदा सिन्हा बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार में जाना चाहती हैं। उनके चरणों में अपने सुरों की हाजिरी लगानाचाहती हैं। उन्होंने बोला था, 'देखती हूं कब तक ये इच्छी पूरी होती है…।'

2018 के बाद काशी नहीं जा पाईं शारदा
पर अफसोस कि उनकी ये इच्छा अधूरी रह गई। उन्होंने अमर उजाला से बात करते हुए अपनी इस ख्वाहिश का जिक्र किया था। वो साल 2018 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में एक कार्यक्रम के सिलसिले में गई थीं। इसके बाद वो फिर कभी काशी नहीं जा पाईं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *