सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, अब कभी नहीं होगी Jet Airways की वापसी

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी एयरलाइन जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश दे दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में एनसीएलएटी का फैसला शीर्ष अदालत के जनवरी 2023 के फैसले की घोर अवहेलना है। कोर्ट के मुताबिक एनसीएलएटी ने जेट एयरवेज के रेजॉल्यूशन एप्लिकेंट जालान-कालरॉक कंसोर्टियम की 150 करोड़ रुपये की परफॉरमेंस बैंक गारंटी के समायोजन की अनुमति देकर न्यायालय के जनवरी 2023 के आदेश की अवहेलना की है। समाधान प्रस्ताव के मुताबिक एयरलाइन में 350 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत थी। एनसीएलएटी ने परफॉरमेंस बैंक गारंटी को इसके अगेंस्ट एडजस्ट करने की अनुमति दी थी।

नरेश गोयल के नेतृत्व वाली एयरलाइन कभी भारत की प्रमुख एयरलाइन थी लेकिन 2019 से ही इसका परिचालन बंद है। एनसीएलएटी ने जेट का मालिकाना हक यूके की कंपनी कालरॉक कैपिटल और संयुक्त अरब अमीरात के कारोबारी मुरारी लाल जालान के कंसोर्टियम को ट्रांसफर करने को मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि लिक्विडेशन इसके ऋणदाताओं और कर्मचारियों के सर्वोत्तम हित में होगा क्योंकि जालान-कालरॉक कंसोर्टियम मंजूरी के पांच साल बाद भी समाधान योजना को लागू करने में विफल रहा है।

कोर्ट ने क्या कहा

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनसीएलटी, मुंबई को लिक्विडेटर की नियुक्ति के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इस मामले में दाखिल कई अपीलों पर यह आदेश दिया। इनमें एक अपील बैंकों की भी थी जिन्होंने जेट एयरवेज को जालान-कालरॉक कंसोर्टियम को बेचने के एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दी गई थी। एसबीआई की अगुवाई में बैंकों ने तर्क दिया है कि यह कंसोर्टियम एयरलाइन के अधिग्रहण के लिए शर्तों को पूरा करने में विफल रहा है और अब एयरलाइन को रिवाइव करने की स्थिति में नहीं है।

न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि एयरलाइन से जुड़ा मुकदमा आंखें खोलने वाला है। इसमें भारत के इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के लिए कई सबक हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के फैसले को गलत करार दिया और कहा कि इसमें मटीरियल साक्ष्यों को गलत तरीके से पढ़ा गया है और कानूनी सिद्धांतों की अवहेलना की गई है। बैंक गारंटी का उद्देश्य दिवालियापन प्रक्रिया के समापन तक सक्रिय रहना था।

बैंकों की दलील

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कंसोर्टियम ने एयरलाइन में 350 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया था लेकिन वह इसमें नाकाम रहा। यह जेट एयरवेज के लिक्विडेशन के लिए पर्याप्त आधार बनाता है। कोर्ट ने बैंकों को 150 करोड़ रुपये की गारंटी को भुनाने की भी अनुमति दे दी। शीर्ष अदालत को यह तय करना था कि जेट एयरवेज के अधिग्रहण को बरकरार रखा जाए या एयरलाइन को समाप्त कर दिया जाए। बैंकों ने इसे लिक्विडेट करने की अपील की थी।

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