मध्यप्रदेश में 1. 29 लाख विद्यार्थियों ने लिया बहुविषयक अध्ययन का लाभ, कृषि पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों की रूचि बढ़ी

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि नई शिक्षा नीति:2020 के अंतर्गत प्रदेश में अनेक नवाचार हुए हैं। विश्वविद्यालय अपने स्तर पर भी उच्च शिक्षा के जुड़े नवाचार करें। अच्छे प्रयोगों का सदैव स्वागत है। शिक्षा की गुणवत्ता को निरंतर श्रेष्ठ बनाने के प्रयास हों। पैरामेडिकल और नर्सिंग पाठ्यक्रम भी विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित किए जाएं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सक्षम युवाओं का निर्माण सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए सबसे बड़ी गारंटी मानते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की पहल से इस संदर्भ में नई शिक्षा नीति में अनेक महत्वपूर्ण प्रावधान भी हुए हैं। इस नीति में युवाओं को ज्ञानवान और अनेक विषयों में पारंगत बनाने की रणनीति बनाई गई है। इस नाते मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक अभिनव प्रयास इस दिशा में किए गए हैं। मध्यप्रदेश में महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में जहां भारतीय ज्ञान परम्परा से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यशालाएं आयोजित की गईं, वहीं राज्य सरकार द्वारा भारतीय ज्ञान परम्परा शीर्ष समिति और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में टास्क फोर्स का गठन किया गया। विद्यार्थियों को उनकी रूचि, दक्षता और क्षमता के अनुसार शिक्षा व्यवस्था करने के प्रसार सफल हो रहे हैं। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में प्रदेश अग्रणी है। मध्यप्रदेश का सकल पंजीयन अनुपात राष्ट्रीय अनुपात 28.4 प्रतिशत के मुकाबले 28.9 प्रतिशत है जो एक उपलब्धि है।

बहुविषयक शिक्षा में आगे मध्यप्रदेश

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विश्वविद्यालयों द्वारा बहुविषयक शिक्षा प्रदान करने और रोजगार के लिए उपयोगी पाठ्यक्रमों के संचालन की सराहना की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने हाल ही में प्रदेश में उच्च शिक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं पर कुलगुरूओं और उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की है। बताया गया कि विद्यार्थियों को बहुविषयक दृष्टिकोण (मल्टी डिस्पलीनरी एप्रोच) के माध्यम से अन्य विषयों के अध्ययन के लिए प्रेरित करने के निरंतर प्रयास किए जाएं। वर्तमान में प्रदेश के लगभग एक लाख विद्यार्थी वाणिज्य के साथ कला और विज्ञान की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। कला संकाय के 18 हजार विद्यार्थी वाणिज्य और विज्ञान की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। मध्यप्रदेश में विज्ञान संकाय के ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 11 हजार है, जिन्होंने कला और वाणिज्य विषय का चयन किया है। इस तरह एक लाख 29 हजार विद्यार्थियों ने बहुविषयक शिक्षा का लाभ लिया है।

विद्यार्थी ले रहे खेती किसानी की शिक्षा

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनेक बिन्दुओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है। उच्च शिक्षा व्यवस्था में स्नातक स्तर पर कृषि जैसे विषय के अध्ययन के प्रावधान के भी अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। सात विश्वविद्यालयों और 18 शासकीय स्वशासी महाविद्यालयों में बी.एससी. कृषि पाठ्यक्रम का संचालन हो रहा है। इन पाठ्यक्रामों का लाभ 1189 विद्यार्थी ले रहे हैं। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में सर्वाधिक 240 विद्यार्थी खेती किसानी की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। प्रदेश में पायलेट ट्रेनिंग के कोर्स के संचालन और एविएशन के सर्टिफिकेट कोर्स के लिए पांच विश्वविद्यालयों ने पहल की है। निश्चित ही युवाओं को इन पाठ्यक्रमों का रोजगार की दृष्टि से पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।

इन्क्यूबेशन केन्द्रों की सक्रिय भूमिका, र्स्टाट अप्स को पूर्ण प्रोत्साहन

प्रदेश में उच्च शिक्षा क्षेत्र में कौशल विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में 47 इन्क्यूबेशन सेन्टर प्रारंभ किए गए हैं। इनमें शासकीय विश्वविद्यालय में 16, निजी विश्वविद्यालय में 12 एवं शासकीय स्वशासी महाविद्यालय में 19 इन्क्यूबेशन केंद्र संचालित हैं। देवी अहिल्या विश्व विद्यालय इंदौर को केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पांच करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर इन्क्यूबेशन सेंटर को अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग ने अटल कम्युनिटी इन्नोवेशन सेंटर के लिए 2.5 करोड़ रूपए स्वीकृत किए हैं। इसी तरह जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के लिए 13.4 लाख रूपए स्वीकृत हुए हैं। प्रदेश के 2 निजी विश्वविद्यालयों में भी अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स स्थापित किए गए हैं।

इनमें रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल और लक्ष्मीनारायण कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी (एलएनसीटी) भोपाल शामिल हैं। इन्क्यूबेशन केंद्रों के माध्यम से स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। विश्वविद्यालय स्तर पर 65 स्टार्ट अप्स तथा 2 निजी विश्वविद्यालयों में कुल 295 स्टार्ट अप्स प्रारंभ हुए हैं। स्टार्ट अप्स को विश्वविद्यालयों ने प्रोत्साहन राशि भी दी है। वर्तमान में कुल लाभान्वित विद्यार्थी संख्या 620 है। पेटेंट के अंतर्गत पेटेंट कार्यालय, भारत सरकार से विश्वविद्यालयों के इन्क्यूबेशन सेंटर्स को कुल 14 पेटेंट प्राप्त हुए हैं। इनमें देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में छह, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में चार, विक्रम विश्वविद्यालय में तीन और बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय में एक पेटेंट शामिल हैं। समस्त विश्वविद्यालयों के कुल 27 पेटेंट के आवेदन स्वीकृति की प्रक्रिया में हैं।

 

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