राज्य की चुनावी तस्वीर स्पष्ट होने के बाद मुख्यमंत्री सोरेन ने पहला इंटरव्यू दिया, ‘इस बार हम दो थे’

रांची, झारखंड
झारखंड विधानसभा चुनाव के जारी मतगणना के बीच एक बात स्पष्ट हो गई है कि राज्य में एकबार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से गठबंधन के प्रत्याशी फिलहाल 50 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रहे हैं। ऐसे में इस सफलता का श्रेय राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुशल रणनीति को दिया जा रहा है। राज्य की चुनावी तस्वीर स्पष्ट होने के बाद मुख्यमंत्री सोरेन ने पहला इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने इस जीत और प्रचार के दौरान आई दिक्कतों के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि प्रचार के दौरान उन्होंने इतने भाषण दिए कि कई बार लगता था जैसे गले में अंदर खून बह रहा हो।

जीत का श्रेय मतदाताओं को देते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि हमें पहले से ही पता था कि यह चुनाव बहुत कठिन होने वाला है,इसलिए हमने जमकर तैयारी कर रखी थी और हम अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में सफल रहे। इसके अलावा इस जीत के लिए उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन की मेहनत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंईयां सम्मान योजना का फायदा भी गठबंधन को मिला। घुसपैठ और हिंदुत्व समेत भाजपा के सभी मुद्दों की हवा निकलने पर उन्होंने कहा कि हमने लोगों के बीच अपने विकास कार्य बताए साथ ही भाजपा के हर सवाल का जवाब भी दिया। जिस पर लोगों ने भरोसा किया। आदिवासी वोट भाजपा के साथ नहीं जाने का श्रेय सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन को दिया।

'इस बार हम एक से भले दो थे'
इंटरव्यू के दौरान जब हेमंत सोरेन से पूछा गया कि आपने ये सब कैसे किया, तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'हम लोगों ने पहले से ही होमवर्क कर रखा था, क्योंकि हमें पता था कि यह लड़ाई बहुत कठिन होने जा रही है। इतनी बड़ी टीम के साथ हम लोगों ने बहुत ग्राउंड लेवल पर जाकर काम किया। अच्छा टीम वर्क था, हमलोगों ने सभी चीजों को डिलीवर किया, हमें लोगों तक जो मैसेज पहुंचाना था, उसे हम पहुंचाने में सफल रहे। वैसे भी आपने लोकसभा चुनाव में देखा ही था कि हम लोगों के स्टेट में किस तरह से मैसेज का मूवमेंट होता है। उस समय तो मैं जेल में था, अगर उस समय भी मैं अगर बाहर होता तो रिजल्ट कुछ और होता। उस समय भी वन मैन आर्मी टाइप से कल्पना सोरेन का मूवमेंट था। इस बार तो एक से भले दो थे हम लोग। तो इस बार चीजों को हमने थोड़ा ईस्ट-वेस्ट-नॉर्थ-साऊथ सबको अच्छा करेक्ट किया था। बहुत टफ जरूर रहा, पर रिजल्ट आपके सामने है।'

'हमने उनके हर एक सवाल का जवाब दिया'
भाजपा के हिंदुत्व, घुसपैठ और हिंदू-मुस्लिम करने के सवाल पर सोरेन ने कहा, 'देखिए यह मैन टू मैन थिंकिंग है, लोग किनकी बात सुनते हैं और कैसे समझते हैं। हमारे और जनता के बीच टीचर और स्टूडेंट वाला रिश्ता है। क्लास का टीचर और स्टूडेंट में बहुत अच्छा कॉर्डिनेशन होना चाहिए। स्टेट को पिछले पांच साल से हम हैंडल कर रहे थे, तो लोगों ने हमें बहुत करीब से देखा है। ये रीजनल इलेक्शन था, तो बहुत सारी चीजें हैं इसमें। जितने लोग यहां पर मूवमेंट कर रहे थे, हमने उनके हर एक सवाल का जवाब पब्लिक को दिया। हमने लोगों को बताया कि ये लोग क्या कहते हैं, क्या गलत करते हैं। आप लोगों के जरिए भी लोगों को कई सारी चीजें पता चल जाती है।'

'पिता की वजह से आदिवासी वोट BJP को नहीं मिला'
आदिवासी समुदाय भाजपा के साथ नहीं गया, इसकी वजह पूछने पर सोरेन ने इसका श्रेय अपने पिता शिबू सोरेन को देते हुए कहा, 'यह हमारे पिताजी की बहुत बड़ी सफलता रही है कि उन्होंने यहां के आदिवासी आबादी को एक करके रखा। यह चुनाव हमारे लिए भी बहुत कठिन था। यह पहली बार है जब किसी चुनाव प्रचार के दौरान पिताजी हमारे साथ नहीं थे। फिर भी लोगों ने हमारा साथ दिया। इसका मतलब है कि लोग उनका संघर्ष अब भी भूले नहीं हैं।'

'हमारी प्राथमिकता राज्य के गरीब लोगों पर था'
मंईयां योजना और महिला वोट मिलने को लेकर सोरेन ने कहा, 'ये बात सही है कि हमारा राज्य सबसे गरीब राज्यों में से एक है, जहां लोगों के लिए एक-एक रुपया बहुत ज्यादा मायने रखता है और आज के दिन में जिस तरह से महंगाई चल रही है। ऐसे में हम लोगों ने पहले ही सोच रखा था कि हमारा फोकस यहां के लोगों की सोशल सिक्यूरिटी पर रहेगा और वही हमारी पहली प्राथमिकता थी। उसी का रिजल्ट भी हमें देखने को मिला।'

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