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गीता का मर्म समझा ब्रिटिश पार्लियामेंट के अधिकारियों ने, इसी पर सरकार चलाने को लेकर किया मंथन

चंडीगढ़.
5161 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की धरा से पूरी मानवता के लिए गीता का अमर संदेश दिया था। इसमें दिखाई राह पर आज पूरी दुनिया चलती दिखाई देने लगी है। यहां तक कि विभिन्न देशों में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाया जा चुका है तो इन देशों की संसद तक में गीता के श्लोकों की गूंज सुनाई पड़ती रही है।

ब्रिटिश पार्लियामेंट के अधिकारियों ने भी गीता के गूढ़ संदेश का मर्म जाना तो अपनी सरकार इसमें दिखाए मार्ग पर चलाने को लेकर गंभीरता से चर्चा की। जहां ब्रिटिश संसद में गीता का संदेश गूंजा तो वहीं ब्रिटिश विश्वविद्यालय में भी गीता संदेश के साथ-साथ कुरुक्षेत्र धाम की महत्ता की गूंज सुनाई दी। इसके लिए बड़ा कदम इस्कॉन की ओर से उठाया गया और यूथ फोरम कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष गोविंद कृष्ण दास ब्रिटिश संसद के अधिकारियों के आमंत्रण पर वहां पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि वे कैसे श्रीमद्भागवत गीता और शास्त्रों के अनुसार अपनी सरकार को और ज्यादा बेहतरीन तरीके से चला सकते हैं। गीता के महत्व को समझाते हुए गोविंद प्रभु ने कुरुक्षेत्र धाम की महिमा का भी वर्णन किया।

गोविंद कृष्ण दास अपने गुरु गोपाल कृष्ण गोस्वामी ने निर्देश पर पूरे विश्व में भगवत गीता का प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि श्रील प्रभुपाद ने भगवत गीता के संदेश को विदेश तक पहुंचाया था। उन्होंने ब्रिटिश देश में भारतीय संस्कृति श्रीमद्भागवत गीता के प्रचार की नींव 1969 में ही रख दी थी। गोविंद कृष्ण दास ने सभा में उपस्थित लगभग 20 अधिकारियों को श्रीमद्भागवतभगवत गीता भेंट की। ब्रिटिश संसद के अधिकारियों के द्वारा गोविंद प्रभु को वर्ल्ड स्र्पिटिच्यूल लीडर से सम्मानित भी किया। यहीं नहीं गोविंद कृष्ण दास प्रभु कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भी पहुंचे और विद्यार्थियों को कृष्ण भक्ति का संदेश दिया और उनको हरे कृष्ण महामंत्र की ध्वनि पे नृत्य कराया। यहां गीता पर अलग-अलग सत्र में गंभीरता से चर्चा की गई।

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