चंडीगढ़.
हरियाणा के सभी जिलों में जमीन के कलेक्टर रेट नये सिरे से निर्धारित कर दिये गये हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव की वजह से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कलेक्टर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया था, लेकिन अब बढ़े हुए कलेक्टर रेट के हिसाब से जमीन की रजिस्ट्रियां होंगी। राज्य में बढ़े हुए कलेक्टर रेट एक दिसंबर से लागू होंगे, जो कि 31 मार्च 2025 तक मान्य होंगे। राज्य सरकार इस अवधि के बाद नये सिरे से कलेक्टर रेट निर्धारित कर सकती है। जब तक नये कलेक्टर रेट निर्धारित नहीं होते, तब तक पुराने रेट पर ही जमीन की रजिस्ट्रियां हो सकेंगी।
क्या होता है कलेक्टर रेट?
जमीन के कलेक्टर रेट किसी भी जिले में प्रशासन तय करता है। यह अलग-अलग शहर के अलग-अलग इलाकों में जमीन की बाजार वैल्यू के आधार पर तय किया जाता है। कलेक्टर रेट किसी भी जिले में जमीन की वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर कोई रियल एस्टेट प्रॉपर्टी खरीददार को बेची जा सकती है।
कलेक्टर रेट समय-समय पर बदलता रहता है, जो स्थान और बाजार के रुझान पर निर्भर करता है। एनसीआर में चूंकि जमीन बहुत अधिक महंगी है, इसलिए वहां कलेक्टर रेट बाकी जिलों से काफी अधिक हैं। जिला उपायुक्तों की ओर से राज्य सरकार को भेजे गये प्रस्तावों में 12 से 32 प्रतिशत तक जमीन के कलेक्टर रेट बढ़ाने की सिफारिश की गई है, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
सरकारी खजाने के भरने के आसार
बढ़े हुए कलेक्टर रेट पर जमीन की रजिस्ट्रियां होने से सरकारी खजाने के भरने के आसार हैं। राज्य के सभी मंडल आयुक्तों व जिला उपायुक्तों को एक दिसंबर से बढ़े हुए कलेक्टर रेट पर जमीन की रजिस्ट्रियां करने संबंधी परिपत्र जारी कर दिया गया है। नई सरकार के गठन से पहले राजस्व विभाग मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पास था, लेकिन अब विपुल गोयल राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री हैं।
जमीन के कलेक्टर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल से लंबित है। उन्होंने कलेक्टर रेट बढ़ाने से पहले जिलों में मार्केट वैल्यू का पता करने के निर्देश दिए थे। उन्हीं के आदेश पर उपायुक्तों ने कलेक्टर रेट को लेकर सर्वे करते हुए जमीन की मार्केट वैल्यू के हिसाब से रेट तय किए हैं, जिन्हें अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्वीकार कर लिया है।
हरियाणा में एनसीआर के तहत आने वाले जिलों से सबसे ज्यादा कलेक्टर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव आया है। इनमें रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल और पानीपत जिले शामिल हैं। इन जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से 20% तक कलेक्टर रेट में बढ़ोतरी के प्रस्ताव भेजे गए हैं। हालांकि, गुरुग्राम, सोहना, फरीदाबाद, पटौदी और बल्लभगढ़ के कलेक्टर रेट 30 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रस्ताव आए हुए हैं। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि यह जिले एनसीआर के तहत आते हैं, जहां लगातार केंद्र व राज्य सरकारें इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर काम कर रही हैं।