भोपाल
उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को समग्र रूप से विकसित करने तथा विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में लाने के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध है। उज्जैन में 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महापर्व की चर्चा करते हुए उपमुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा सिंहस्थ क्षेत्र में सुनियोजित रूप से विकास व जन-सुविधाओं की भी व्यापक व्यवस्था के लिए आगामी बजट में 'सिंहस्थ' आयोजन के लिए प्रावधान का अनुरोध किया। केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन की अध्यक्षता में शुक्रवार को राजस्थान के जैसलमेर में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ हुई प्री बजट मीटिंग में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
उपमुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने कहा कि विशेष पूंजीगत सहायता योजना के संबंध में आम जनता के जीवन-यापन में सकारात्मक परिवर्तन भी हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश का कुल पूंजीगत व्यय रूपये 46 हजार 798 करोड़ था जो लगभग 23 प्रतिशत वृद्धि के साथ वर्ष 2023-24 में रूपये 57 हजार 348 करोड़ रहा है। उन्होने कहा कि वर्ष 2024-25 में लगभग रूपये 64 हजार 738 करोड़ का पूंजीगत व्यय अनुमानित है। वर्ष 2024-25 के लिए रूपये 6 हजार 187 करोड़ 73 लाख की राशि प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया।
उपमुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने राज्य की ओर से बजट की तैयारी से संबंधित सुझाव देते हुए कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन के अंतर्गत वित्त पोषित राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन, राष्ट्रीय विधवा पेंशन एंव राष्ट्रीय नि:शक्त पेंशन योजनाओं में वित्त पोषण की वर्तमान व्यवस्था पर पुर्नविचार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से 2024 के मध्य प्रतिवर्ष 0.29 प्रतिशत से लेकर 0.44 प्रतिशत तक की जीवन-प्रत्याशा में वृद्धि हुई है। इस तथ्य के परिणामस्वरूप योजनान्तर्गत हितग्राहियों की वर्तमान पंजीबद्ध संख्या 24 लाख 14 हजार से बढ़कर 29 लाख 43 हजार होना अनुमानित है। केन्द्र सरकार द्वारा मात्र 15 लाख 75 हजार हितग्राहियों के मान से ही वित्त पोषण किए जाने से राज्य सरकार को अतिरिक्त व्यय वहन करना पड़ रहा है। इस तथ्य के प्रकाश में वर्ष 2013-14 में योजना के हितग्राहियों की संख्या की अधिकतम सीमा के पुनरीक्षण पर विचार किया जाना चाहिए।
जल जीवन मिशन की शेष राशि जारी करने का आग्रह
जल जीवन मिशन योजना के लिये उप मुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने कहा कि केन्द्र से मिशन की दूसरी किश्त की द्वितीय व तृतीय ट्रेंच की राशि रूपये 1 हजा़र 422 करोड़ की राशि प्राप्त नहीं होने से राज्य सरकार ने स्वयं के स्त्रोतों से योजनाओं के कार्यों को जारी रखा है। वर्ष 2024-25 में इन कार्यों के लिए रूपये 17 हजा़र करोड़ की आवश्यकता अनुमानित है, जिसमें केन्द्र की सहभागिता के अनुसार प्रदेश को रूपये 8 हजा़र 500 करोड़ की राशि भारत सरकार से अपेक्षित है। उन्होंने केन्द्रांश के लिए रूपये 4 हजा़र 456 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान करने और द्वितीय किश्त की शेष राशि रूपये 1 हजा़र 422 करोड़ उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
खाद्यान्न उपार्जन की लागत के व्ययों की प्रतिपूर्ति दरों का पुर्ननिर्धारण
उपमुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने कहा कि उपार्जन में विभिन्न मदों जैसे निराश्रित शुल्क, मण्डी लेबर व्यय, परिवहन व्यय, सोसायटी को कमीशन, ब्याज, भण्डारण व्यय, मिलर्स को प्रोत्साहन, बारदाना लागत आदि में किए जा रहे व्ययों तथा केन्द्र द्वारा निर्धारित दरों में अन्तर है। केन्द्र के स्तर पर दरों का पुनरीक्षण नहीं होने से सभी मदों में राज्य सरकार पर अतिरिक्त व्यय भार आ गया है। इस परिप्रेक्ष्य में केन्द्र से दरों के शीघ्र पुनरीक्षण अनुरोध है।
ग्रामीण सड़को के निर्माण, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन जैसे जन-सुविधाओं के कार्यक्रमों में मध्यप्रदेश के निरन्तर सराहनीय प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए उपमुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने ग्रामीण सड़कों की लम्बाई के मान से सड़कों के संधारण व रख-रखाव के लिए 60 व 40 प्रतिशत के अनुपात में केन्द्र से वित्तीय सहभागिता का अनुरोध किया।
उपमुख्यमंत्री श्री देवड़ा ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना में केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित मजदूरी दर, कृषि श्रमिकों के लिए अधिसूचित मजदूरी दर से कम है। इसके परिणामस्वरूप मजदूरी नियोजन में कमी आई है। केन्द्र सरकार से प्रशासनिक मद में व्यय की 6 प्रतिशत राशि की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अनुसूचित जनजाति वर्ग के उत्थान एवं जीवन सुधार के मद्देनजर एक वर्ष में 100 दिवस के रोजगार की बजाय 150 दिवस के रोजगार की गारण्टी का प्रावधान करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों और भू-जल स्तर की गिरावट वाले क्षेत्रों में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए वाटर शेड विकास परियोजनाओं के विकास के लिए बजट में विशेष रूप से प्रावधान करने का अनुरोध किया।