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तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा- नीतीश कुमार को अलविदा यात्रा पर निकलने से पहले जनता के सवालों के जवाब देने चाहिए

पटना
बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दो अरब 25 करोड़ 78 लाख की अलविदा यात्रा पर निकलने से पहले बिहार की जनता के सवालों के जवाब देने चाहिए।
श्री यादव ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री श्री कुमार को जनता से क्षमा-याचना मांगनी चाहिए कि 20 वर्षों में कथित यात्राओं के माध्यम से राजनीतिक पर्यटन पर निकलने के बावजूद वो अभी तक वास्तविक तथ्य-सत्य और साक्ष्य क्यों नहीं जान एवं समझ पाए है। वह बताएं कि 20 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद भी बिहार की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे कम क्यों है।
नेता प्रतिपक्ष ने पूछा कि बीस साल मुख्यमंत्री रहने के बाद भी बिहार मानव विकास सूचकांक और नीति आयोग के सतत विकास सूचकांक के हर मापदंड में सबसे पीछे क्यों है। एक भी संकेतक को सुधारने में क्या 200 साल और चाहिए। बीस साल बाद भी मुख्यमंत्री क्यों नहीं जान पाए हैं कि बिहार के 36.6 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है। बिहार के 5681 सरकारी विद्यालयों के पास अपना भवन भी नहीं है और वह बगल के विद्यालय से संलग्न होकर चलाए जा रहे हैं जबकि इनमें से 933 के पास भूमि उपलब्ध है तथा जिन विद्यालयों के पास अपना भवन है उनमें से 62 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालय और 20 प्रतिशत माध्यमिक विद्यालयों के परिसरों की चारदीवारी भी क्यों नहीं है। बारम्बार यात्राएं करने के बाद भी श्री कुमार को यह पता क्यों नहीं चलता था कि जिला सदर अस्पताल, मेडिकल कॉलेज एवं अनुमंडलीय अस्पतालों के हालात इतने बदतर क्यों थे? 17 महीने में हमने मिशन-60, मिशन परिवर्तन और मिशन बुनियाद के तहत सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में क्रांतिकारी बदलाव के साथ चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मियों, उपकरणों एवं दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करायी। हमारे हटने के बाद से फिर एक साल में स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं में गिरावट क्यों हुई, क्या मुख्यमंत्री इसमें सुधार का प्रयास करेंगे।
श्री यादव ने कहा कि बिहार के थानों और कार्यालयों में रिश्वतखोरी एवं अफ़सरशाही क्यों है। जिला मुख्यालय से बाहर निकलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह जानने की कोशिश क्यों नहीं की।
मुख्यमंत्री ने जब यात्राएं शुरू नहीं की थी तब बिहार की चीनी मिलें चलती थी लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा यात्राएं शुरू करने के बाद से सभी चीनी मिल बंद क्यों है? मुख्यमंत्री जवाब दें उन्होंने चीनी मिले बंद क्यों करायी। दस वर्ष से डबल इंजन सरकार होने के बावजूद भी चीनी मिल शुरू क्यों नहीं हो पाई। हम 17 महीने सरकार में आए तो राजद कोटे से गन्ना और उद्योग विभाग ने मिलकर रीगा चीनी मिल शुरू कराने का कैबिनेट से निर्णय पास कराया? आपसे इतने सालों की सत्ता में यही काम क्यों नहीं हो पाया था। 17 बरसों से कथित फिज़ूलखर्ची यात्रा करने के बाद भी मुख्यमंत्री और उनके अधिकारियों को यह क्यों नहीं पता चला कि विभिन्न विभागों में 10लाख पद रिक्त थे? नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आम जनता को चिढ़ाने वाले इन बेमतलब की यात्राओं में जब मुख्यमंत्री जिले-जिले मुँह चमकाने के लिए घूमते थे तब भी इनको यह ज्ञात क्यों नहीं होता था कि जिला रोजगार पंजीकरण एक्सचेंज में कितने बेरोजगार पंजीकृत है। उनकी नज़र में रोजगार पंजीकरण एक्सचेंज का कोई मतलब भी है या नहीं।
जनता के पैसों को बर्बाद कर यात्रा करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अभी तक यह ज्ञात क्यों नहीं हुआ कि बिहार के आधे घरों से यानि हर दूसरे घर से लोग काम की तलाश में राज्य से बाहर पलायन कर अपने परिवार से दूर रहने को विवश क्यों हैं? हर वर्ष कम से कम आधा साल बिहार बाढ़ या सुखाड़ से जूझता है। सरकारी खजाने से अरबों खर्च कर अपने महिमामंडन के लिए राजनीतिक पर्यटन पर निकलने वाले आत्ममुग्ध सीएम को इतना समय भी नहीं मिला कि डबल इंजन सरकार होने के बावजूद इतनी गंभीर समस्या के हल पर कुछ विचार करें? क्या सीएम को किसानों की दिक़्क़त और खाद की क़िल्लत के बारे में जानकारी है? अगर है तो खाद की कालाबाज़ारी के क्या वो दोषी नहीं है। पहले की यात्राओं के दौरान की गयी घोषणाओं, आश्वासनों और निर्देशों का अनुपालन नहीं होना क्या एक विफल, कमजोर, रिटायर्ड अधिकारियों पर आश्रित बेबस मुख्यमंत्री का परिचायक नहीं है। क्या मुख्यमंत्री को अपनी विफलता के लिए क्षमाप्रार्थी नहीं होना चाहिए?

 

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