झारखंड के लातेहार जिले में एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़ के जंगल में भेड़ियों का प्रजनन काल शुरू

लातेहार
झारखंड के लातेहार जिले में एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़ के जंगल में भेड़ियों का प्रजनन काल शुरू हो गया है। पलामू व्याघ्र परियोजना अंतर्गत जंगली इलाके के बीच 63 वर्ग किलोमीटर फैले इस वुल्फ सेंचुरी 80 से 70 भेड़िया हैं, जो 4 से 6 अलग- अलग झुंड में बंटे हुए हैं।

दरअसल, सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ प्रजाति के भेड़िया रहते हैं। भारत में भेड़ियों की संख्या बाघों से भी कम है। भेड़ियों की संख्या 3 हजार से भी कम है, इसलिए सरकार इन्हें लेकर काफी गंभीर है। दिसंबर माह की समाप्ति से लेकर फरवरी तक भेड़ियों का प्रजनन काल माना जाता है। इसे लेकर महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में हाई अलर्ट जारी किया है। पूरे इलाके में ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं और विभाग ईको डेवलपमेंट कमेटी और ग्रामीणों के साथ लगातार बैठक कर रही है, जिससे भेड़ियों के प्राकृतिक प्रवास में कोई नुकसान नहीं पहुंच सके।

वुल्फ सेंचुरी के अगल-बगल 60 से भी अधिक गांव मौजूद हैं। ग्रामीणों के मवेशी बड़ी संख्या में चारे के लिए वुल्फ सेंचुरी के इलाके में दाखिल होते हैं, प्रजनन काल में मवेशी सेंचुरी के इलाके में दाखिल न हों इसके लिए विभाग की ओर से लगातार ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हें जागरूक किया जा रहा है। कई मौकों पर ग्रामीण भेड़ियों के मांद के अगल-बगल आग लगा देते हैं, जिसके कारण भेड़ियों को मांद छोड़ कर भागना पड़ता है। इसके बारे में ग्रामीणों को विस्तार से जानकारी दी जा रही है।

भेड़िया एक बार मे चार से छह बच्चों को जन्म देते हैं। जन्म के 3 सप्ताह के बाद ये बच्चे मांद से बाहर निकलते हैं। तब तक भेड़िया का परिवार बच्चों का पालन पोषण करता है। प्रजनन के दौरान मांद में किसी प्रकार का खतरा होने के बाद भेड़िया इलाका छोड़ देते हैं और दोबारा वापस नहीं लौटते हैं। महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी की सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है, छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में भेड़िया इस इलाके में आते हैं एवं प्रजनन करते हैं। पलामू व्याघ्र परियोजना क्षेत्र के उपनिदेशक कुमार आशीष ने बताया कि वुल्फ सेंचुरी में भेड़ियों के प्रजनन काल को लेकर ग्रामीणों को जागरूक किया गया है। ग्रामीणों को भेड़यिों की मांद में आग नहीं लगाने और फरवरी तक जंगलों में मवेशियों को नहीं भेजने के लिए समझाया जा रहा है, जिससे भेड़ियों के प्रजनन में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं हो।

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