भोपाल
भारत के सर्वश्रेष्ठ मल्टी स्पेशियल्टी हॉस्पिटल्स में से एक और न्यूज़वीक द्वारा देश के सर्वश्रेष्ठ प्राईवेट हॉस्पिटल के रूप में सम्मानित, मेदांता ने भोपाल में थैलेसेमिया और एप्लास्टिक एनीमिया के बारे में एक सत्र का आयोजन किया। इस सत्र में इन दोनों गंभीर समस्याओं और उनके आधुनिक उपचारों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। मेदांता, गुरुग्राम में पीडियाट्रिक हेमेटो ऑन्कोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर, डॉ. सत्य प्रकाश यादव के नेतृत्व में आयोजित इस सत्र में पीडियाट्रिशियंस, मेडिकल स्टूडेंट्स, डॉक्टर्स, और फिज़िशियंस को थैलेसेमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, एवं बच्चों में खून के अन्य विकारों के लिए जीवनरक्षक इलाज के रूप में बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) की क्षमता के बारे में शिक्षित किया गया।
थैलेसेमिया और एप्लास्टिक एनीमिया खून के गंभीर विकार हैं, जिनका स्वास्थ्य पर काफी गंभीर प्रभाव पड़ता है। थैलेसेमिया एक सामान्य अनुवांशिक विकार है, जिसमें खून की लाल कोशिकाओं का उत्पादन कम हो जाता है, जिसके कारण जीवित रहने के लिए बार-बार खून चढ़ाया जाना आवश्यक हो जाता है। वहीं, एप्लास्टिक एनीमिया होने पर बोन मैरो खून की पर्याप्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं कर पाता, जिसकी वजह से मरीजों में थकान, संक्रमण का जोखिम, और रक्तस्राव होता हैं। यह विकार काफी दुर्लभ है। भारत में हर साल थैलेसेमिया मेजर के साथ 10,000 से 15,000 बच्चे जन्म लेते हैं, जबकि हर साल एप्लास्टिक एनीमिया के लगभग 20,000 मामले सामने आते हैं'। इलाज के सीमित संसाधन और बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स या इम्युनोसप्रेसिव थेरेपी जैसी तकनीकों की कम उपलब्धता मरीजों के लिए चुनौतियाँ बन जाती है'। इन दोनों विकारों का मरीज के परिवार पर काफी भावनात्मक और वित्तीय बोझ पड़ता है। पर इलाज में हुई प्रगति, जैसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) और विकसित होती हुई जीन थेरेपी ने आशा प्रदान की है, और थैलेसेमिया के मरीजों को स्वस्थ बनाकर उन्हें आजीवन खून चढ़ाए जाने की जरूरत को लगभग समाप्त कर दिया है, तथा एप्लास्टिक एनीमिया का इलाज भी प्रदान किया है।
डॉ. सत्य प्रकाश यादव, डायरेक्टर, पीडियाट्रिक हेमेटो ऑन्कोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, मेदांता गुरुग्राम ने जागरुकता और इलाज की उपलब्धता बढ़ाए जाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "थैलेसेमिया और एप्लास्टिक एनीमिया जैसे खून के विकार केवल मेडिकल चुनौती नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए एक बड़ा भावनात्मक और वित्तीय बोझ बन जाते हैं। बोन मैरो ट्रांसप्लांट जीवनरक्षक इलाज प्रदान करता है, लेकिन जागरुकता और संसाधनों की कमी के कारण कई बच्चों का निदान और इलाज नहीं हो पाता है। मेदांता लोगों तक पहुँचकर, हैल्थकेयर प्रोफेशनल्स को शिक्षित करके, तथा विश्वस्तरीय इलाज प्रदान करके इस स्थिति में परिवर्तन लाने की ओर काम कर रहा है। हर बच्चे को एक स्वस्थ जीवन जीने का अवसर मिलना चाहिए, और इस तरह के अभियानों द्वारा हम यह लक्ष्य पूरा करने की ओर बढ़ रहे हैं।"