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जेसी मिल मजदूरों की देनदारी के मामले में मोहन सरकार ने शुरू की कवायद, प्रस्ताव तैयार कर भेजा भोपाल

ग्वालियर

मुख्यमंत्री ने जेसी मिल मजदूरों की देनदारी चुकाने के लिए दीपावली तक का समय दिया है। देनदारी चुकाने के लिए सरकार ने कवायद भी शुरू कर दी है, लेकिन बैंकों की देनदारी करोड़ों में निकली हैं। भारतीय स्टेट बैंक का बकाया 2 हजार 930.61 करोड़ रुपए का है। मिल की संपत्तियां बैंक के पास बंधक रखी है। बैंक की देनदारियों को निर्धारित करने के लिए संपत्तियाें का फिर से सर्वे किया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। इसके अलावा 6 फरवरी को भोपाल में देनदारी के प्रस्ताव पर बैठक भी है। इस बैठक में देनदारी के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। हाईकोर्ट में मार्च में जेसी मिल की याचिका पर सुनवाई होगी। इस सुनवाई में देनदारी के प्रस्ताव के संबंध में अवगत कराया जाएगा।

 दरअसल मध्य प्रदेश सरकार की पहल पर इंदौर के हुकुमचंद मिल के मजदूरों को देनदारी वापस मिल चुकी है। इस तर्ज पर जेसी मिल के मजदूरों को भी देनदारी देने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव भोपाल जा चुका है, लेकिन संपत्ति बेचने का अधिकार शासन के पास नहीं है। इस कारण फंड एकत्रित नहीं हो पा रहा है।

मिल के ऊपर 131 करोड़ की देनदारी बताई थी, जिसमें 8000 हजार मजदूर और 8 बैंकों का बकाया बताया था। इतना पैसा मिल की संपत्ति को नीलाम करके मिल सकता था, लेकिन एसबीआई का 2 हजार 930.61 करोड़ निकला है। यह बड़ी रकम है, जिसे चुकाना संभव नहीं है। लश्कर एसडीएम नरेंद्र बाबू यादव का कहना है कि संपत्ति का फिर से आंकलन किया जा रहा है।

मोहन यादव ने कहा कि राज्य में बीते 25-30 साल पुराने मामले में जमीनों का निराकरण कर रहे हैं, बंद हो चुकी इंडस्ट्रीज और उनकी जमीनों के मामलों को सुलझा रहे हैं. जेसी मिल के मामले में दो बार की बैठक हो चुकी है, दो बार की और होनी है. उन्होंने कहा कि बंद पड़ी मिलों के मामले निपटाने की दिशा में राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इंदौर, उज्जैन के बाद ग्वालियर की जेसी मिल का निराकरण करना है. जल्दी से जल्दी जेसी मिल के मजदूरों को उनका पैसा मिल सकेगा.

औद्योगिक विकास के प्रयास जारी- सीएम

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में औद्योगिक विकास के प्रयास जारी हैं. इसके लिए फरवरी माह में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट भोपाल में होने जा रही है, इससे पहले राज्य के अलग-अलग हिस्सों में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव आयोजित करने का सिलसिला जारी है. प्रदेश में औद्योगीकरण का माहौल बना हुआ है. ऐसे प्रयासों से और ताकत मिलेगी.

जीतू पटवारी के बयान पर क्या बोले मोहन यादव?

वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के कथित कैंसर वाले बयान पर तंज कसते हुए सीएम ने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा दूसरे बड़े-बड़े कांग्रेस नेता कैंसर बता रहे हैं, लेकिन कैंसर किसको है, यह समझ में नहीं आ रहा है. कांग्रेस को अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए. एक महत्वपूर्ण बात है कि कांग्रेस में अपनी बात कहने का एक नया रिवाज शुरू हो गया है.

जमीन से जुटाया जाना है फंड, हाउसिंग बोर्ड को देने का था प्रस्ताव

-जेसी मिल के पास खुद के स्वत्व की 150 बीघा जमीन है। इसमें 100 बीघा जमीन खाली है और 50 बीघा जमीन पर अतिक्रमण है। जेसी मिल की जमीन पर मजदूरों का भी कब्जा है।

-जेसी मिल के पास सरकार की भी जमीन थी। यह जमीन शासन को वापस मिल गई है। शासन ने इस जमीन पर मिल मजदूरों को 500 पट्टे दे दिए हैं।

-जेसी मिल की जमीन पर भी क्वार्टर बने हैं। इन क्वार्टरों में अभी मजदूर निवास कर रहे हैं।
-जमीन के संबंध में फैसला लेने का अधिकार लिक्विडेटर के पास है।

-हाईकोर्ट में 1997 से कंपनी पिटीशन लंबित हैं। मिल प्रबंधन व मजूदरों के खिलाफ पिटीशन लंबित है।

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