किसान आंदोलन को समाप्त कराने और किसानों को हिरासत में लेने … अचानक भगवंत मान सरकार ने 360 डिग्री यू-टर्न कैसे ले लिया?

शंभू बॉर्डर
 पंजाब पुलिस ने  पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर किसानों की ओर से लगाए गए धरने को समाप्‍त करा द‍िया और टेंटों को तोड़ दिया। किसानों की एक बड़ी संख्या अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर यहां धरने पर बैठी थी। शंभू बॉर्डर पर पुलिस की तैनाती काफी बढ़ा दी गई थी। पुलिस ने किसान मजदूर मोर्चा का कार्यालय और किसानों की ओर से बनाए गए पक्के मोर्चों को तोड़ दिया। पुलिस ने बुलडोजर चलाकर किसान मजदूर मोर्चा के कार्यालय और मंच को ध्वस्त कर दिया है। पुलिस की इस कार्रवाई के तहत शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाया जा रहा है और धरने की पूरी व्यवस्था को ध्वस्त किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि सुबह तक सब क्लियर करा लिया जाएगा। वहीं शंभू और खनौरी दोनों बॉर्डर के आसपास इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।

40 से 50 किसानों ने आत्मसमर्पण किया
पंजाब पुलिस की ओर से डीआईजी हरमिंदर सिंह गिल ने कहा कि अब तक 40 से 50 किसानों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने आगे बताया कि यदि कोई किसान गिरफ्तारी के लिए कहेगा तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा, जबकि अगर कोई छोड़ने की मांग करेगा तो उसे छोड़ दिया जाएगा। ऐसा नहीं है कि हमने उन्हें बंधक बना लिया है। पुलिस की कार्रवाई में गैरकानूनी तरीके से बनाए गए सभी निर्माणों को तोड़ा जा रहा है। अगले कुछ घंटों में शंभू बॉर्डर को पूरी तरह से खाली करवा लिया जाएगा।पुलिस की इस कार्रवाई के दौरान हरियाणा पुलिस भी अपनी ओर से बैरियर हटाने की प्रक्रिया में लगी है। जैसे ही हरियाणा पुलिस अपना बैरियर हटाएगी, शंभू बॉर्डर को पूरी तरह से साफ कर दिया जाएगा और रूट को क्लीयर कर दिया जाएगा।

'अंतिम सांस तक लड़ेंगे'
इससे पहले शंभू बॉर्डर पर भारी पुलिस बल की तैनाती और दर्जनों एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और बुलडोजर की तैनाती को लेकर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि हम कहना चाहते हैं कि हमें मारे बिना यहां से मोर्चा खाली नहीं हो सकता है। हम पंजाब, हरियाणा के किसानों से कहना चाहते हैं कि एक-एक ट्रॉली यहां लेकर आ जाओ, यह मसला किसी न किसी ओर जाएगा। अंतिम सांस तक लड़ेंगे। सरकार बड़ी है, लेकिन जनता से बड़ी नहीं हो सकती है।

डल्लेवाल और पंधेर को हिरासत में लिया गया
केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद लौट रहे सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई किसान नेताओं को मोहाली में हिरासत में लिया गया। किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत ने कहा कि किसान नेताओं को मोहाली में तब हिरासत में लिया गया, जब वे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद शंभू विरोध स्थल की ओर लौट रहे थे। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने किसानों को प्रदर्शन स्थलों से हटाए जाने को उचित ठहराते हुए कहा कि राज्य के लिए जीवनरेखा सरीखें दो राजमार्गों के लंबे समय तक बंद रहने से उद्योग और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप)युवाओं और रोजगार सृजन के लिए प्रतिबद्ध है। अगर व्यापार और उद्योग सुचारू रूप से चलते रहेंगे तो उन्हें रोजगार मिलेगा।

कब से शंभू बॉर्डर पर हैं किसान
दरअसल दोनों विरोध स्थलों पर पुलिस कार्रवाई के संकेत सुबह से ही मिलने लगे थे, क्योंकि वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। वहीं किसान नेताओं ने चंडीगढ़ में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। किसानों ने बताया कि प्रदर्शन स्थलों के पास एम्बुलेंस, बसें, अग्निशमन और दंगा रोधी वाहन तैनात किए गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 13 फरवरी को दिल्ली कूच करने से रोके जाने के बाद से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू (शंभू-अंबाला) और खनौरी (संगरूर-जींद) सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसानों संग बातचीत का अगला दौर 4 मई को
चंडीगढ़ में किसानों की विभिन्न मांगों पर चर्चा के लिए किसान नेताओं और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच ताजा दौर की वार्ता बेनतीजा रही। तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के बाद कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि वार्ता सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। चर्चा सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से हुई। बातचीत जारी रहेगी। अगली बैठक चार मई को होगी। मंगत ने दावा किया कि किसानों को उनके गंतव्य की ओर जाने से रोकने के लिए मोहाली में बड़े पैमान पर अवरोधक लगाए गए।

पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की
किसान नेता मंगत ने कहा कि पंधेर और डल्लेवाल के साथ अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटरा और मंजीत सिंह राय को हिरासत में लिया गया। उन्होंने बताया कि पंधेर को जीरकपुर नाके के नजदीक से हिरासत में लिया गया और पटियाला के बहादुरगढ़ कमांडो पुलिस प्रशिक्षण केंद्र ले जाया गया। एंबुलेंस में मौजूद डल्लेवाल को भी हिरासत में लिया गया। कुछ किसानों ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया और पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की। पुलिस की इस कार्रवाई को पंजाब के उद्योगपतियों में व्याप्त बेचैनी के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिन्होंने शंभू और खनौरी सीमा चौकियों के बंद होने के कारण हुए भारी नुकसान को रेखांकित किया है।

हजारों पुलिसकर्मी मौजूद
चीमा ने कहा कि व्यापार को नुकसान हो रहा है। इन सभी स्थितियों को देखते हुए यह कार्रवाई की गई है। हम किसान नेताओं से कह रहे हैं कि उनकी लड़ाई केंद्र से है। आप केंद्र से लड़िए। हम आपके साथ हैं। आप सीमा बंद करके पंजाब को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। पुलिस उपमहानिरीक्षक (पटियाला रेंज) मनदीप सिंह सिद्धू के नेतृत्व में करीब 3,000 पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए खनौरी सीमा पर मौजूद थे। इसी तरह, पुलिसकर्मी सड़क खाली कराने के लिए शंभू सीमा पर भी पहुंचे।

पुलिस ने दी चेतावनी
खनौरी में सिद्धू ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि सरकार ने सड़क खाली करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। डीआईजी ने कहा कि पुलिस उन्हें अपना और अपने बुजुर्गों के रूप में मानती है और किसी भी टकराव के लिए नहीं आई है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उनकी संख्या 3,000 है जो किसानों की संख्या 200 से ज़्यादा है। डीआईजी ने युवाओं को चेतावनी दी कि वे सुरक्षाकर्मियों और पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार न करें। पुलिस अधिकारी ने कहा कि निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जिसके तहत पांच या इससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया गया है, इसलिए उनका एकत्र होना अवैध है।

जेसीबी से निर्माण कराए ध्वस्त
अतिरिक्त उपायुक्त सुखचैन सिंह ने लाउडस्पीकर पर प्रदर्शनकारियों से 10 मिनट में सड़क खाली करने को कहा। बाद में पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें प्रदर्शन स्थल पर खड़ी बसों में ले गए। शंभू और खनौरी सीमा चौकियों पर पुलिस कर्मियों को मंचों को हटाते देखा गया। शंभू विरोध स्थलों पर, पुलिस ने विरोध स्थलों पर किसानों की ओर से बनाए संरचनाओं को हटाने के लिए जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया गया। प्रदर्शनकारी किसानों की कई ट्रैक्टर-ट्रॉलियां और अन्य वाहन सड़क पर खड़े देखे गए थे।

पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी
इससे पहले खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने किसान नेताओं पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया और पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। चंडीगढ़ में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद किसान नेता काका सिंह कोटरा ने कहा कि शंभू और खनौरी सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। कई विपक्षी नेताओं ने किसानों को हिरासत में लेने की पुलिस कार्रवाई को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने किसान नेताओं की हिरासत को कृषि क्षेत्र पर ‘हमला’ करार दिया और पुलिस की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

किसान नेताओं की पीठ में छुरा घोंपा शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने किसान नेताओं को हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह बेहद अलोकतांत्रिक और अतार्किक कार्रवाई है और किसान नेताओं के साथ विश्वासघात है। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद कहा कि अगली बैठक चार मई को होगी। चीमा ने कहा कि इसलिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को यह बताना चाहिए कि बैठक के बाद क्या हुआ और नेताओं को उनके स्थानों पर वापस जाते समय तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश किसने दिए? राज्य सरकार ने दिल्ली में अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए किसान नेताओं की पीठ में छुरा घोंपा है। ऐसा करके भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार किसानों के आंदोलन को कुचलना चाहती है। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि इससे यह उजागर हो गया है कि केंद्र सरकार और भगवंत मान सरकार एक-दूसरे के साथ मिली हुई हैं। शिअद ने बिना देरी किए सभी किसान नेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग की है।

किसान आंदोलन पर क्यों बदला मान सरकार का स्टैंड

एक समय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आंदोलनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे. हालांकि अब उनके रुख में 360 डिग्री का बदलाव आया है. वह पंजाब के गृह मंत्री भी हैं और उन्होंने किसान आंदोलन को समाप्त कराने और किसानों को हिरासत में लेने का कड़ा फैसला लिया है. इस कार्रवाई से राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार की भारी आलोचना हुई है. विपक्षी दल मान शासन पर निशाना साध रहे हैं. पंजाब के उद्योग मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंध ने कहा कि वे किसानों का सम्मान करते हैं, लेकिन प्रमुख सड़कों के अवरुद्ध होने से व्यापार प्रभावित हो रहा है.

मंत्री सोंध ने कहा, 'हमने हमेशा किसानों का सम्मान किया है और उनका समर्थन किया है, लेकिन राजमार्गों पर इन अवरोधों से व्यापार प्रभावित हो रहा है, इसलिए सड़कें खोलने की जरूरत है.' उल्लेखनीय है कि भगवंत मान सरकार और किसानों के बीच मतभेद इस महीने की शुरुआत से ही बढ़ने लगे थे. सबसे पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 3 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के किसान नेताओं के साथ चल रही बैठक से वॉकआउट कर दिया. बाद में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य की सीमाओं पर सड़के अवरुद्ध कर धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि इससे पंजाब को आर्थिक नुकसान हो रहा है.

व्यापारियों के हितों की चिंता और लुधियाना उपचुनाव

पंजाब में आम आदमी पार्टी नेताओं द्वारा दिए गए प्रत्येक बयान में अब इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि राजमार्गों के बंद होने से व्यापार को भारी नुकसान हो रहा है. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि AAP सरकार राज्य की बिजनेस कम्युनिटी के हितों को ध्यान में रख रही है. मान सरकार का तर्क है कि उसने राज्य के व्यापारियों और अर्थव्यवस्था के हित में शंभू और खनौरी बॉर्डर को प्रदर्शनकारी किसानों से खाली कराने का फैसला लिया है.

आने वाले समय में लुधियाना पश्चिम सीट पर उपचुनाव होने वाला है. आम अदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में लुधियाना का दौरा किया था. यहां की इंडस्ट्री और बिजनेस कम्युनिटी ने दोनों को स्पष्ट रूप से बताया था कि किस तरह से किसान आंदोलन और राजमार्गों की नाकेबंदी व्यापार और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है. सूत्रों का दावा है कि इसके बाद से ही राज्य सरकार ने किसान आंदोलन को खत्म करने और अवरुद्ध सड़कों को खोलने का मन बना लिया था.

मान सरकार ने लिया बड़ा सियासी जोखिम

पंजाब सरकार का तर्क है कि उसने राज्य की अ​र्थव्यवस्था और व्यापार के हित में किसानों के आंदोलन को उखाड़ने का काम किया है. हालांकि, यह तो समय ही बताएगा कि मान सरकार का यह कदम सही है या कृषि आधारित राज्य के लिए उसका एक बड़ा दांव है. राज्य सरकार ने भले ही उद्योग और व्यापार को तरजी​ह दी है, लेकिन जिस तरह से किसानों को हिरासत में लिया गया और उनके आंदोलन को कुचला गया, उससे AAP सरकार के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है. क्योंकि पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है और यहां दो साल बाद चुनाव होने हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए किसानों की नाराजगी से निपटने में मुश्किल हो सकती है. हालांकि, धरना प्रदर्शन को समाप्त कराकर AAP राज्य की गैर-किसान आबादी को भी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि राज्य सरकार को उनकी भी चिंता है.

कार्रवाई को लेकर AAP विपक्ष के निशाने पर

किसानों पर कार्रवाई के बाद बुधवार को पंजाब सरकार को राजनीतिक आलोचनाएं झेलनी पड़ीं. कांग्रेस सांसद गुरजीत औजला ने कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों को इस तरह निशाना बनाया जा रहा है. किसानों के मुद्दों को हल करने के बजाय, यह दुखद है कि AAP इस तरह से काम कर रही है.' शिअद सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, 'किसानों के साथ खड़े होने की बजाय सीएम भगवंत मान उन्हें उखाड़ फेंक रहे हैं. पंजाब पुलिस ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य की भी परवाह नहीं की.'

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