बुंदेली शेफ प्रतियोगिता का दूसरा संस्करण 2 अप्रैल से होगा शुरू, सांस्कृतिक महक और व्यंजनों की विरासत दिखेगी

भोपाल
पांच करोड़ से अधिक दर्शकों तक पहुँच और 75 से अधिक सहयोगियों के साथ बुंदेलखंड के नंबर वन डिजिटल न्यूज़ प्लेटफार्म के रूप में कार्य कर रहे बुंदेलखंड 24×7 द्वारा आयोजित बुंदेली शेफ प्रतियोगिता का दूसरा संस्करण अपनी सांस्कृतिक महक और व्यंजनों की विरासत के साथ एक बार फिर परंपरा और नवाचार का संगम लेकर आ रहा है। प्रतियोगिता की शुरुआत 2 अप्रैल को होने वाले पहले ऑडिशन राउंड से होगी। पूरी तरह निःशुल्क इस प्रतियोगिता का ग्रैंड फिनाले झाँसी में होगा, जबकि ऑडिशन, क्वार्टर फाइनल व सेमीफाइनल राउंड चैनल के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लाइव आयोजित किए जायेंगे। मूल रूप से बुंदेलखंड से आने वाली महिलाएं देशभर के किसी भी कोने से प्रतियोगिता का हिस्सा बन सकती हैं।

इस अनूठी पहल का उद्देश्य बुंदेलखंड की घरेलू महिलाओं को एक सशक्त मंच प्रदान करना है, जिससे वे अपनी पाक-कला को न केवल क्षेत्रीय बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिला सकें। कार्यक्रम की भव्यता को और अधिक बढ़ाते हुए जाने माने फिल्म अभिनेता व राजनेता राजा बुंदेला और सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी जैसी विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति भी देखने को मिलेगी।

प्रतियोगिता के विभिन्न चरणों को कड़े परीक्षणों और रोमांचक मुकाबलों के माध्यम से सम्पन्न किया जाएगा। प्रतियोगिता की शुरुआत के बाद, 9 अप्रैल को दूसरा ऑडिशन, 16 अप्रैल को क्वार्टर फाइनल, 30 अप्रैल को सेमीफाइनल और 11 मई को ग्रैंड फिनाले का आयोजन होगा। इन सभी चरणों में प्रतिभागियों की पाक कला को परखने के लिए अनुभवी जज सृष्टि त्रिपाठी और डॉ अतुल मालिकराम मौजूद रहेंगे।

प्रतियोगिता को लेकर दामिनी गौर ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, "बुंदेली शेफ प्रतियोगिता न केवल एक कुकिंग कॉम्पिटिशन है, बल्कि यह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और अपनी कला को बड़े मंच पर प्रस्तुत करने का बेहतरीन अवसर भी है।"
वहीं शिवांगी तिवारी ने कहा "यह प्रतियोगिता हर महिला को अपने भीतर छिपी शेफ को पहचानने और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। यह आयोजन बुंदेली व्यंजनों की समृद्धि को दर्शाने का भी एक माध्यम है।"

अपने पहले संस्करण की अपार सफलता के बाद बुंदेली शेफ प्रतियोगिता का यह दूसरा संस्करण नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक कदम है, जो पारंपरिक पाक-कला को आधुनिकता का स्पर्श देकर बुंदेलखंड की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत बनाने का प्रयास कर रहा है।

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