जयपुर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा को लेकर नई SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी की है। यह कदम उन घटनाओं के मद्देनजर उठाया गया है, जहां मरीजों के परिजन आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज करवा देते हैं, जिससे चिकित्साकर्मियों को मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ता है और उनकी कार्यक्षमता तथा प्रतिष्ठा प्रभावित होती है।
गृह विभाग की नई SOP के तहत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग उन संस्थानों को चिन्हित करेगा, जहां सुरक्षा की आवश्यकता है। इसके बाद संबंधित संस्थान स्थानीय पुलिस स्टेशन के साथ समन्वय स्थापित करेंगे और संबंधित थानाधिकारी नियमित रूप से पेट्रोलिंग कर सुरक्षा निगरानी रखेंगे। यदि किसी संस्थान में हिंसा की सूचना मिलती है तो 6 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा। अगर घटना संबंधित पुलिस स्टेशन की सीमा में नहीं आती, तो जीरो एफआईआर दर्ज की जाएगी। ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई होगी और शीघ्र अनुसंधान किया जाएगा। एफआईआर को सीसीटीएनएस और आईसीजेएस सिस्टम पर दर्ज किया जाएगा।
नई गाइडलाइन के तहत जिला स्तर पर DCP/SP और राज्य स्तर पर ADG (अपराध) द्वारा नामित अधिकारी इन मामलों की निगरानी करेंगे। इसके अलावा, डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों द्वारा दर्ज कराए गए परिवादों पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। अगर आवश्यक हुआ तो डॉक्टर्स और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए विधि अनुसार उचित कदम उठाए जाएंगे। राज्य सरकार की इस नई पहल से चिकित्सा जगत को राहत मिलने की उम्मीद है, जिससे वे निर्भीक होकर मरीजों की सेवा कर सकें।