लखनऊ
लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस सड़क पर साथ दिखी थीं। विधानसभा उपचुनाव में भी दोनों पार्टियां एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी और बहुत उम्मीद है कि साल 2027 में भी दोनों पार्टियां एक साथ कदमताल करती दिखाई दें। सड़क का यह एका सदन में भी दिखाई देगा। दोनों दल 29 जुलाई से होने वाले विधानमंडल सत्र की बैठकों में एक सुर में सरकार को घेरते दिखाई देंगे।
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा कहती हैं कि फिलहाल देखा जाए तो सरकार के खिलाफ जो मुद्दे हमारे हैं, वही मुद्दे सपा के पास भी हैं। ऐसे में सदन के भीतर यह गठजोड़ रहने में कोई दिक्कत नहीं है। मसले जब एक जैसे ही उठाए जाएंगे तो दोनों दल एक दूसरे को सपोर्ट करते भी दिखेंगे। सदन के भीतर किसी भी तरह की अनबन या विरोधाभास का कोई आधार नहीं दिखता है।
आरक्षण और नौकरी ही रहेगा फोकस में
जानकारी के मुताबिक आरक्षण और नौकरी ही विपक्ष के फोकस में होगा। नौकरियों में आरक्षण स्टेटस के बारे में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की चिट्ठी भी विपक्ष के एजेंडे में है। इसके अलावा भाजपा के अन्य सहयोगी दलों का स्टैंड भी सपा-कांग्रेस सदन के भीतर टटोलेगी।
जानकारी के मुताबिक फिलहाल सपा और कांग्रेस उन मसलों को इकट्ठा कर रहे हैं, जिनमें नौकरियों में आरक्षण के हिसाब से कम पद आरक्षित वर्ग को आवंटित किए गए हैं। पिछले सदन में भी केजीएमयू भर्ती में इस तरह का मामला सदन में उठा था, जिसकी जांच के लिए एक कमिटी बनाई गई थी। फिलहाल समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में सपा और कांग्रेस मिलकर इस मसले को फिर उठाने की योजना तैयार कर रहे हैं।
दुकानदारों के नाम उजागर करने का भी उठेगा मामला
कांवड़ यात्रा को लेकर पूरे कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों के नाम उजागर करने संबंधी मामला भी सदन में उठना तय है। इस मसले पर सपा-कांग्रेस के स्टैंड के अलावा आरएलडी ने भी सरकार से फर्क स्टैंड दिखाया था। आरएलडी चीफ जयंत चौधरी कई बार इस आदेश के विरोध में बयान जारी कर चुके हैं और इसे समाज में बंटवारे का सबब बता रहे हैं। ऐसे में आरएलडी विधायकों को सपा-कांग्रेस इस मसले पर टटोलेगी कि वे इस मसले पर सदन के भीतर क्या रुख अपनाते हैं।