नई दिल्ली
साल 2024 के अंत में जारी एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट ने देश के मुख्यमंत्रियों की संपत्ति और देनदारियों की दिलचस्प तस्वीर पेश की है। इस रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू 931 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ देश के सबसे अमीर मुख्यमंत्री बन गए हैं। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 15.38 लाख रुपये की संपत्ति के साथ सबसे कम संपत्ति वाली मुख्यमंत्री हैं। आइए, इस रिपोर्ट की प्रमुख बातें जानते हैं।
सबसे 'अमीर' मुख्यमंत्री
आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू ने 931 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है, जो उन्हें भारत का सबसे धनी मुख्यमंत्री बनाती है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू का नाम आता है, जिनकी संपत्ति 332.57 करोड़ रुपये है। तीसरे स्थान पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं, जिनके पास 51.94 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
सबसे 'गरीब' मुख्यमंत्री
सबसे कम संपत्ति वाली मुख्यमंत्रियों की सूची में ममता बनर्जी शीर्ष पर हैं। उनकी संपत्ति केवल 15.38 लाख रुपये है। उनके बाद जम्मू-कश्मीर के उमर अब्दुल्ला (55.24 लाख रुपये) और केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन (1.19 करोड़ रुपये) का स्थान है।
देनदारियों में कौन सबसे आगे?
इस रिपोर्ट के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू 180.28 करोड़ रुपये की देनदारियों के साथ शीर्ष पर हैं। उनके बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (23.77 करोड़ रुपये) और चंद्रबाबू नायडू (10.32 करोड़ रुपये) का नाम आता है।
बुजुर्ग मुख्यमंत्रियों की सूची
आयु के मामले में, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन 77 वर्ष की उम्र के साथ सबसे वरिष्ठ हैं। उनके बाद कर्नाटक के सिद्धारमैया (75 वर्ष) और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू (74 वर्ष) हैं।
क्यों हैं आंध्र प्रदेश के सीएम खास?
आंध्र प्रदेश में अमीर मुख्यमंत्री होना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने साल 2019 और साल 2024 के बीच 510 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ यह रिकॉर्ड अपने नाम किया था। नायडू ने भी साल 2014 से 2019 के बीच 177 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी।
आपराधिक मामलों में कौन आगे?
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि देश के 31 मुख्यमंत्रियों में से 13 (42%) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इनमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू के खिलाफ सबसे ज्यादा 19 मामले दर्ज हैं, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत 32 गंभीर आरोप शामिल हैं।