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148 साल पुराने विम्बलडन ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट का यह 138वां संस्करण, आज से हो रहा शुरू

लंदन 

टेनिस के सबसे पुराने टूर्नामेंट विम्बलडन की शुरुआत आज से ऑल इंग्लैंड क्लब लंदन में हो रही है। 148 साल पुराने इस ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट का यह 138वां संस्करण है। वर्ल्ड वार और 2020 में कोरोना महामारी के दौरान ही विम्बलडन का आयोजन ब्रेक हुआ है।

विम्बलडन साल का तीसरा ग्रैंड स्लैम है। टेनिस में 4 ग्रैंड स्लैम होते हैं। चारों हर साल आयोजित होते हैं, इसकी शुरुआत जनवरी में ऑस्ट्रेलियन ओपन से होती है। मई और जून में फ्रेंच ओपन होता है। जुलाई में विम्बलडन और अगस्त-सितंबर में US ओपन होता है। US ओपन साल का आखिरी ग्रैंड स्लैम होता है।

सर्बिया के स्टार टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच इस टूर्नामेंट में 25वां टाइटल जीतने का प्रयास करेंगे, लेकिन उनके सामने स्पेन के युवा स्टार कार्लोस अल्काराज की चुनौती होगी। 22 साल के अल्काराज ने पिछले साल ग्रॉस कोर्ट पर खेले गए फाइनल मुकाबले में जोकोविच को मात दी थी।

ऑल इंग्लैंड क्लब कराता है विम्बलडन विम्बलडन इकलौता ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट है, जिसका आयोजन कोई नेशनल टेनिस एसोसिएशन नहीं करता है। इसे ऑल इंग्लैंड क्लब आयोजित करता है। क्लब की स्थापना 1868 में हुई थी। टेनिस पहले क्रॉकेट कहलाता था। 6 मेंबर्स ने मिल कर ऑल इंग्लैंड टेनिस और क्रॉकेट क्लब की शुरुआत की और फिर आगे चलकर इन्हीं ने 1877 में विम्बलडन टूर्नामेंट शुरू किया।

आज यह प्राइवेट क्लब है और इसमें 500 मेंबर हैं। प्रिंसेस ऑफ वेल्स इस क्लब की मालकिन रहती है। इस समय कैथरीन एलिजाबेथ मिडिलटन इसकी मालकिन हैं।

हरे मैदान पर सफेद पोशाक का जादू

टेनिस को अपनी परंपराओं से प्यार है, और विंबलडन में होने वाली चैंपियनशिप को तो और भी ज्यादा। हालांकि हाल के वर्षों में, इस खेल के सबसे प्रतिष्ठित मेजर (ग्रैंड स्लैम) ने प्रगतिशीलता का परिचय देते हुए, अपने कई मशहूर पुराने तौर-तरीकों को छोड़ दिया है। विशिष्ट ग्रास-कोर्ट सीडिंग फार्मूला, बीच में पड़ने वाले रविवार को छुट्टी और बेस्ट-ऑफ-फाइव सेट डबल्स मैच, ये सब समाप्त कर दिये गये हैं। अब इस टूर्नामेंट के 148-वर्षीय इतिहास में पहली बार, लाइन जज नहीं होंगे और सभी कोर्टों पर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फैसला लिया जायेगा। इसके बावजूद, सोमवार को जब पहली गेंद मारी जायेगी, तो हरित आभा और भव्यता की कोई कमी नहीं होगी। बल्कि, अपनी चमकती हरी घास के साथ, कम भीड़भाड़ वाला कोर्ट, एक बेहतर चाक्षुष अनुभव प्रदान कर सकता है और झक सफेद पोशाक पहने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को अपना जादू चलाने के लिए एक विस्तृत कैनवास दे सकता है। इनमें जैनिक सिनर और कार्लोस अल्कारेज मुख्य होंगे। दुनिया के इन दो शीर्ष पुरुष खिलाड़ियों ने रोजर फेडरर-राफेल नडाल के द्वंद्वयुद्धों की याद दिलाने वाली दिलचस्प प्रतिद्वंद्विता अब स्थापित कर ली है। दरअसल, अल्कारेज SW19 (विंबलडन) में गत दो बार के चैंपियन हैं और अपने पिछले पांच टूर्नामेंटों में से चार में जीत दर्ज की है, जिनमें क्वींस क्लब चैंपियनशिप भी शामिल है। विश्व के नंबर एक खिलाड़ी सिनर का घास पर वैसा इतिहास नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी का पहला स्लैम सेमीफाइनल साल 2023 में ऑल इंग्लैंड क्लब में ही खेला था, और घास पर अल्कारेज से उनका आमना-सामना केवल एक बार, साल 2022 में विंबलडन में हुआ, जिसमें वह विजयी रहे।

हालांकि, 24 बार मेजर विजेता और सात-बार विंबलडन चैंपियन नोवाक जोकोविच को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह 38-वर्षीय सर्बियाई खिलाड़ी स्लैम जीतने की फिटनेस में नहीं है, लेकिन घास सबसे बढ़िया मौका पेश करती है। घुटने के ऑपरेशन के महज चंद हफ्तों बाद वह साल 2024 में रनर-अप रहे और आखिरी बार वह साल 2017 में फाइनल में पहुंचे बिना विंबलडन से बाहर हुए थे। महिलाओं में, नंबर एक अरिना सबालेंका, फ्रेंच ओपन फाइनल में कोको गॉफ से कड़वी हार के बावजूद, सबसे मजबूत खिलाड़ी बनी हुई हैं और कोई कारण नहीं दिखता कि दक्षिण-पश्चिम लंदन में उनका दमदार खेल विजय पताका न फहरा पाए। लेकिन पिछले आठ संस्करणों ने आठ अलग-अलग विजेता देखे हैं, जो खुला मैदान होने की ओर इशारा करता है। गॉफ और पांच-बार मेजर विजेता इगा स्विएतेक के लिए, विंबलडन सबसे कम नतीजे देने वाला स्लैम रहा है और वे जीत की कुंजी मिलने की उम्मीद कर रही होंगी। अमेरिकी गॉफ चौथे राउंड के आगे नहीं बढ़ पायी हैं, जबकि स्विएतेक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन क्वार्टरफाइनल है। गत चैंपियन बारबोरा क्रेजिसिकोवा, साल 2024 की रनर-अप जैस्मिन पाओलिनी और साल 2022 की विजेता एलिना रिबाकिना कुछ अन्य उल्लेखनीय नामों में शामिल हैं। एक बार फिर भारतीय उपस्थिति रोहन बोपन्ना, युकी भांबरी, श्रीराम बालाजी और ऋत्विक बोलिपल्ली के साथ डबल्स तक सीमित रहेगी। जब देश का टेनिस प्रतिभाओं की घटती संख्या, प्रशासनिक उदासीनता और अंतहीन मुकदमेबाजी के दुष्चक्र में फंसा है, इन खिलाड़ियों पर झंडा लहराये रखने की जिम्मेदारी होगी

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